लंबी उम्र के लिए नरक चतुर्दशी पर एक दिशा में जलाएं ‘यम दीपक’, जानें सही विधि और उपाय

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Narak Chaturdashi 2023: सनातन परंपरा के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। आमतौर पर नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले और धनतेरस के ठीक एक दिन बाद मनाई जाती है। इस बार नरक चतुर्दशी 11 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से होगी। जबकि चतुर्दशी तिथि की समाप्ति 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट पर होगी। आइए जानते हैं कि नरक चतुर्दशी पर यम देव की पूजा कैसे करें और इस दिन लंबी उम्र के लिए क्या उपाय किए जाते हैं।

नरक चतुर्दशी मुहूर्त

  • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 11, 2023 को 01:57 पी एम बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त – नवम्बर 12, 2023 को 02:44 पी एम बजे

नरक चतुर्दशी पर कैसे जलाएं दीपक

शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन जो दीपक जलाया जाता है। उसे यम देवता के निमित्त दीपदान कहा जाता है। ऐसे में शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, इस दिन घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर यम दीपक जलाना चाहिए। हालांकि इस दिन दीपक जलाने से पहले थोड़ा अनाज जैसे- गेहूं या धान से फर्श या जमीन पर घेरा बनाकर उसके ऊपर सरसों के तेल का एकमुखी दीपक जलाना शुभ होता है। ध्यान रहे कि दीपक की बाती की दिशा दक्षिण होनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन दीपक के पास जल और फूल चढ़ाकर सुखी और स्वस्थ जीवन की कामना करनी चाहिए।

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नरक चतुर्दशी के उपाय

ज्योतिषीय मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन मां लक्ष्मी का निवास तेल में भी होता है। कहा जाता है कि इस दिन तेल लगाकर स्नान (अभ्यंग स्नान) करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।

नरक चतुर्दशी को लेकर मान्यता यह भी है कि इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाने से तमाम कष्टों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म नरक चतुर्दशी के दिन हुआ था।

नरक चतुर्दशी के दिन यम दीपक जलाने से साथ ही सूर्यास्त के समय घरों के दरवाजे पर 14 दीपक जलाना चाहिए। इस क्रम में यह ध्यान रखना चाहिए कि उन दीपकों की दिशा दक्षिण हो। शुभ मुहूर्त में इन दीयों को जलाने की परंपरा रही है। ऐसा करने से उम्र और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए। इस संबंध में मान्यता यह है कि धनतेरस के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।