हलाल सर्टिफिकेट बांटने वालीं कंपनियां आयी UP STF की रडार पर

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प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट के जरिए पीएफआई, सिमी, वहादत-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों को टेरर फंडिंग की जांच की कमान मंगलवार को एसटीएफ ने संभाल ली। इस मामले की जांच अडिशनल एसपी विशाल विक्रम सिंह के अगुआई में बनी टीम करेगी। जांच संभालते ही एसटीएफ टीम ने लखनऊ पुलिस और एफएसडीए से एफआईआर की कॉपी, हलाल प्रमाणीकरण और इससे जुड़े उत्पादों के लिए अब तक हुई कार्रवाई के दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए। सूत्रों के मुताबिक, प्रमाणपत्र देने वाली संस्थाओं के बारे में जानकारी जुटाने और पूछताछ के लिए एसटीएफ टीमें जल्द मुंबई, दिल्ली और चेन्नै भी जाएंगी।

एफआईआर में हलाल प्रमाणपत्र देने वाली

यूपी में हलाल प्रमाणित उत्पादों की बिक्री के मामले में भाजपा के युवा मोर्चा के पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत पर हजरतगंज पुलिस ने 17 नवंबर की रात एफआईआर दर्ज की थी। इसके अगले दिन 18 नवंबर को प्रदेश सरकार ने यूपी में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों के कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया। एफआईआर में हलाल प्रमाणपत्र देने वाली चार संस्थाओं हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नै, जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई और जमीयत उलेमा मुंबई समेत कई अज्ञात कंपनियों के मालिकों और प्रबंधकों को आरोपित बनाया गया है। चारों नामजद संस्थाएं यूपी से बाहर की हैं। इसी कारण सरकार ने मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी है।

छापे से पहले गायब किए हलाल सर्टिफाइड पैकेट

बाजार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बिक्री पर रोक लगाने और लखनऊ में कई स्टोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की जानकारी के बाद जिले में भी ऐसे उत्पाद बेचने वाले व्यापारियों में हड़कंप मच गया था। इन स्टोर मालिकों को यह भी जानकारी मिल रही थी कि जिले में भी कार्रवाई हो सकती है, इसलिए उन्होंने ऐसे उत्पादों को हटाना शुरू कर दिया। कई स्टोर संचालक ने इन उत्पादों को अपने स्टोर से हटाकर अलग स्थान पर रख दिया था, ताकि प्रॉडक्ट छापेमारी के दौरान टीम के हाथ ना लग सके।

कई स्टोर और दुकान संचालक रडार पर

सूत्र बताते हैं कि कई ऐसे स्टोर और दुकान मालिकों के बारे में पता लगा है, जिन्होंने इन उत्पादों को छिपाकर रख दिया है। वह चोरी छिपे बिक्री भी कर रहे हैं। कई क्षेत्रों के ऐसे दुकानदार और स्टोर मालिक विभाग के रडार पर आ गए हैं। सबसे ज्यादा रडार पर राजनगर, मसूरी क्षेत्र और पुराने गाजियाबाद शहर के साथ ट्रांस हिंडन के दुकानदार और स्टोर मालिक हैं। हालांकि, विभाग ऐसे स्टोर और दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करने से पूर्व पूरी तरह पुष्टि कर लेना चाहता है, ताकि बाद में विवाद की स्थिति न बन सके।

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