“महाराष्ट्र में प्रतिदिन 7 किसान करते हैं आत्महत्या”

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राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि महाराष्ट्र में प्रतिदिन औसतन सात किसान आत्महत्या करते हैं। उन्होंने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि किसानों की आत्महत्या के पीछे का कारण अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएं और सरकार की लापरवाही है। उन्होंने कहा कि सरकार महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं को सुनने और उनका समाधान करने की कोशिश नहीं कर रही है। (7 Farmers Commit Suicide Daily In Maharashtra, says LoP Vijay Wadettiwar)

इस मुद्दे को सदन में वडेट्टीवार, एनसीपी नेता जयंत पाटिल, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट, सुनील केदार और नाना पटोले ने उठाया। उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए ये टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में सूखे जैसी स्थिति और बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों को फसल बीमा योजना के माध्यम से “अपर्याप्त मुआवजा” प्रदान करती है।

नागपुर में राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में बोलते हुए, वडेट्टीवार ने सरकार से राज्य में सूखे की घोषणा करने और किसानों को पूर्ण ऋण माफी देने की मांग की। उन्होंने राज्य सरकार से उन बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा जिन्होंने प्रभावित किसानों को 3, 37, 45 और 52 रुपये की मुआवजा राशि दी है।

किसानों को अपर्याप्त बीमा भुगतान पर कटाक्ष करते हुए, वडेट्टीवार ने दावा किया कि मुआवजे में 57 रुपये प्राप्त करने वाला एक किसान सुरक्षा की आवश्यकता के लिए पुलिस स्टेशन गया था। वडेट्टीवार ने दावा किया कि किसान ने यह कार्रवाई इसलिए की क्योंकि पैसा “बहुत बड़ा” था और लुटेरों को इसे लेने से रोकने के लिए उसे पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता थी।

जयंत पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार कार्यक्रमों में व्यस्त है और शुरू में ऐसा लग रहा था कि ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार तेजी लाएगी। लेकिन समय के साथ इसकी गति कम हो गई हैविधानसभा में चर्चा के दौरान वडेट्टीवार ने कहा कि सूखा, पानी की कमी, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, फसल बीमा कंपनियों की परेशानियां, किसानों को गारंटीकृत मूल्य के झूठे वादे, निर्यात प्रतिबंध, फर्जी बीज और सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों को परेशानी हो रही है।

हाल ही में मोदी सरकार ने एमएसपी बढ़ाने का एलान किया है लेकिन एमएसपी का फायदा किसानो को तभी मिल पायेगा जब उसके खेत में फसल उगेगी। प्राकर्तिक आपदाओं ओले पड़ने, सूखा पड़ने, सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था न हो पाने पर फसल सूख जाने की स्थति में किसान की मेहनत बेकार चली जाती है। मुंबई ब्यूरो। महाराष्ट्र में किसानो द्वारा आत्म हत्या किये जाने का सिलसिला अभी थमा नहीं है। क़र्ज़ और बेहाल फसलों से लगातार हो रहे घाटे के चलते महाराष्ट्र के किसान ख़ुदकुशी करने को मजबूर हैं। किसानो की आत्महत्या की घटनाओं के आगे किसान कल्याण के लिए सरकारी दावे झूठे साबित हो रहे हैं। Also Read – Sengol News: अधीनम संतों ने पीएम मोदी को सौंपा ‘राजदंड’ सेंगोल, कल नए संसद भवन में होगा स्थापित महाराष्ट्र में इस साल जून तक 1307 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। यानि प्रतिदिन 7 किसानो द्वारा आत्म हत्या की जा रही है। पिछले जनवरी से जून 2018 के बीच 1398 किसानो द्वारा आत्म हत्या की घटनाएं सामने आयी थीं। इस साल आंकड़े भले ही पिछली साल से कम हैं लेकिन बड़ी सच्चाई यह भी है कि किसानो द्वारा आत्महत्या की घटनाएं अभी थमी नहीं है। इस साल जहां किसानों की मौत के 477 केस दर्ज हुए हैं। वहीं पिछले साल ये आंकड़ा 454 था। इस साल सीएम देवेंद्र फडणवीस के गृह क्षेत्र विदर्भ में किसानों की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। इस साल जून के अंत तक 598 केस दर्ज हुए हैं, जो पिछले साल से 58 कम हैं। ऋण माफी योजना के तहत अब तक 77.3 लाख खातों में से 38 लाख किसानों को भुगतान हुआ है। हालांकि किसानों को भुगतान की रफ्तार काफी धीमी है। इसी वजह से फसलों के लिए जो सरकार लोन देती है, उसका पर भी इसका असर पड़ा है। पिछले साल के मुकाबले इस बार फसलों के लिए चालीस फीसद कम लोन दिया गया है। Also Read – IPL 2023, SRH vs RCB: विराट कोहली ने सनराइजर्स हैदराबाद के गेंदबाजों कूट-कूट कर पीटा, छठा शतक जड़कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि पुराने भुगतान से पहले बैंकों ने नया कर्ज देने से इंकार कर दिया है। इस साल अप्रैल-मई में सरकार ने फसलों के लिए किसानों को 1426 करोड़ का लोन दिया है। इस मामले पर सीएम फडणवीस ने वित्त मंत्री पीयूष गोयल को चिठ्ठी लिखकर प्रक्रिया को तेज करने की भी गुजारिश की थी। फसलों की कीमत भी इस प्रक्रिया के धीमे पड़ने के पीछे की एक वजह है। केंद्र सरकार ने अभी 14 फसलों की एमएसपी में इजाफा किया है। मगर खरीदी और भंडारण के काम में अड़चनें आ रही हैं। ऐसे में किसानों को फसलों की बिक्री का बकाया पैसा मिलने में अभी कुछ और वक्त लग सकता है। ऐसे हालातो में बीज और खाद के लिए लिया गया पैसा किसान पर बोज बन जाता है और समय से पैसा न चुका पाने के कारण किसान पर व्याज का दबाव बढ़ता चला जाता है। इसलिए बढे हुए एमएसपी का फायदा किसान को तभी मिलेगा जब उसके खेत में अच्छी फसल हो।