तीन क्रिमिनल लॉ बिल लोकसभा में पास, राजद्रोह कानून खत्म, नाबालिग से रेप और मॉबलिंचिंग पर फांसी की सजा

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आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल लोकसभा से पास हो गए हैं. इससे पहले बुधवार (20 दिसंबर) को इन बिलों पर चर्चा हुई. नए कानून में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान पेश किए गए. यह बिल ऐसे समय में पास हुए हैं, जब संसद के 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. इनमें से 97 सासंद लोक सभा के हैं, जबकि 46 राज्य सभा के हैं. लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पारित हुआ.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था. उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी. CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी. और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है. जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए.

आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए.

तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 3 से 7 साल की सजा के मामले में 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच की आरोप सही है या नहीं है. 14 दिन के अंदर प्रारंभिक जांच करके एफआईआर दर्ज करनी होगी. ज्यादा से ज्यादा 14 दिन तक आप प्रारंभिक जांच कर सकते हो अगर छोटी सजा है तो तीन दिन के अंदर की एफआईआर दर्ज करनी होगी. सबसे पहले न्याय में समय की कटोती यहा होगा. जिला मजिस्ट्रेट को जो जांच रिपोर्ट देनी होती तो पहले उसमें कोई समय सीमा का प्रावधान नहीं था. आतंकियो की जगह सिर्फ जेल है और आतंकियों के साथ किसी प्रकार की कोई दया नहीं होगी. ये अंग्रेजों का शासन नहीं है, ये कांग्रेस का शासन नहीं है, ये भाजपा और नरेन्द्र मोदी का शासन है…. यहां आतंकवाद को बचाने की कोई दलील काम नहीं आएगी.

राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में नहीं
राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में सफाया हुआ. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किला से कहा था कि उपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए. उसके बाद 2019 से परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की. ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है.