OPINION: भारत व हिन्दुओं के खिलाफ बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है धार्मिक भेदभाव वाली अमेरिकी रिपोर्ट

104

अमेरिका में खुलेआम घूम रहे हैं और भारत सरकार को धमकी देते रहते हैं।

अमेरिका का दोहरा रवैया कई बार उजागर हो चुका है। जब पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान में हिन्दुओं का उत्पीड़न और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तब अमेकिरा तथा उसके पिछलग्गू अपनी आँखें बंद कर लेते हैं क्योंकि संभवतः हिन्दू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय इनके लिए मायने नहीं रखते, इनकी दृष्टि में सनातन हिंदू द्वितीय श्रेणी का जीव होता है। भारत में हिजाब पहनने लिए प्रदर्शन करने वाली मुस्लिम महिलाओं को अमेरिका तुरंत समर्थन दे देता है किन्तु पाकिस्तान में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही उन हिन्दू बालिकाओं के लिए अमेरिका जैसे समर्थ देश कोई आवाज नहीं उठाते जिनके साथ मुसलमान बलात्कार और जबरदस्ती निकाह कर धर्मांतरण करने के लिए मजबूर कर देते हैं। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिन्दुओं और सिखों पर इतने अत्याचार हुए हैं कि वहां उनका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है और यह अतिआधुनिक विचारों वाला अमेरिका इन घटनाओं की कभी कड़ी निंदा तक नहीं करता।

अमेरिका से आई ताजा रिपोर्ट से यह संकेत मिलता है कि भारत विरोधी अभियान चलाने तथा आदिवासी हिन्दू समाज के धर्मांतरण के लिए भारी भरकम धन अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों के रास्ते ही भारत आता रहा है। अब भारत के कई राज्यों में धर्मांतरण रोकथाम के लिए कानून बनाकर हिन्दुओं के धर्मांतरण को नियंत्रित किया जा रहा है और इस दिशा में चर्च की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं जिसके कारण अमेरिका में भारत विरोधी ताकतों की बैचैनी बढ़ी हुई है।

यह भी संभव हो सकता है कि अमेरिका इस प्रकार की रिपोर्ट जारी कर दबाव डालकर भारत को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहा हो। अमेरिका भारत को रूस से दूर ले जाना चाहता है। उल्लेखनीय है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 8 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठक करने जा रहे हैं। चुनावों के मध्य ही रूसी राष्ट्रपति का बयान आया था कि कुछ विदेशी ताकतें भारत के चुनावों को प्रभावित करने के लिए हस्तक्षेप कर रही हैं।पुतिन का साफ इशारा अमेरिका और पाकिस्तान की तरफ था क्योकि पाकिस्तानी सरकार के मंत्री राहुल गांधी की तारीफों के पुल बांधकर कह रहे थे कि भारत का प्रधानमंत्री राहुल गाँधी को बनना चाहिए।

इस बीच अमेरिका ने अस्थिरता फ़ैलाने में सहायक अपनी शहरी नक्सल सहायिका अरुंधती राय को पेन प्रिंटर प्राइज पुरस्कार -2024 से सम्मानित कर दिया है। ये पुरस्कार तब घोषित किया गया है जब दिल्ली के उपराज्यपाल ने उप्पा कानून के अंतर्गत अरूंधती राय के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। आतंकवादी यासीन मलिक की सहयोगी अरुंधती अपने लेखों व गतिविधियों के मध्यम से भारत विरोधी एजेंडा चलाती रहती हैं।

वर्तमान केंद्र सरकार को अब अत्यंत सतर्कता व सक्रियता के साथ कार्य करना होगा क्योंकि आजादी गैंग के समर्थक राहुल गांधी अब विपक्ष के नेता बन चुके हैं और अमेरिका में बैठे उसके गुरु सैम पित्रोदा की अपने पद पर वापसी हो चुकी है। कहा जाता है कि सैम के एलन मस्क से अच्छे रिश्ते हैं साथ ही जार्ज सोरोस के साथ भी इनका अच्छा गठबंधन है। सैम पित्रोदा मोदी जी के मंदिर जाने से परेशान होता था और ईवीएम मशीनों पर संदेह व्यक्त करते हुए भारत के नागरिकों की तुलना चीनी और अफ्रीकियों से करता था। राहुल गांधी तो पहले भी कह चुके हैं कि उन्हें पता है कि सिस्टम कैसे काम करता है क्योंकि वह कुछ पिछली सरकारों के प्रधानमंत्री(इंदिरा/राजीव) के घर पर ही रहते थे।

अमेरिका द्वारा जारी, भारत में धार्मिक भेदभाव वाली रिपोर्ट की हर स्तर पर तथ्यों के साथ कड़ी निंदा की जानी चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सभी सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के हर धर्म व जाति के लोगो को मिल रहा है। सरकार की सभी योजनाएं केवल गरीबों के लिए हैं। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता। फ्री अनाज, आवास, उज्जवला, आयुष्मान भारत किसी का भी लाभ धर्म के आधार पर नहीं दिया गया सच तो ये है इनका लाभ मुसलमान ने ही अधिक उठाया है, हिन्दू अपनी प्रवृत्ति से ही मुफ्त चीज़ों के प्रति संकोची होता है। अगर भारत में भेदभाव हो रहा होता तो असुददीन ओवैसी जैसे लोग संसद में शपथ लेते समय जय फिलीस्तीन का नारा लगाने का साहस न कर पाते। अमेरिका को यह अच्छी तरह से पता होना चाहिए कि भारत में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मुसलमानों का उचित प्रतिनिधित्व है और भारत पर धार्मिक भेदभाव के आरोप लगाना एक शरारतपूर्ण कार्य है।

भारत पर रिपोर्ट जारी करने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का बेटा नशीले पदार्थे की तस्करी में पकड़ा गया है, नवंबर के अमेरिकी चुनावों में बाइडेन की पार्टी की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। आगामी दो माह में यूरोप के कई देशों में चुनाव होने जा रहे है जहां सत्ता परिवर्तन तय नजर आ रहा है । वैश्विक बदलाव के इस युग में भारत कैसे सामर्थ्य के साथ खड़ा है ये बात तथाकथित शक्तिसंपन्न मित्रों को समझ में नहीं आ रही है।

भारत में राष्ट्रप्रथम की भावना से ओतप्रोत सरकार बनी है, यूरोप के कई देशों में इसी विचार की हवा चल पड़ी है और धुर दक्षिणपंथी विचारों वाले दल आगे चल रहे हैं । वामपंथी विचारकों में अपनी दुकान बंद होने का भय है ऐसे में यही ताकतें भारत को अपना प्रमुख निशाना बनायेंगी क्योंकि यहाँ के विपक्षी दल उनका साथ देते हैं। राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, एलन मस्क और अरूंधती राय जैसों के गैंग का खेल अब कुछ दिनों चलता रहने वाला है।