डीजे पर प्रतिबंध का आदेश गणेशोत्सव तक ही सीमित नहीं है, यह सभी जुलूसों पर लागू – बॉम्बे हाई कोर्ट का बयान

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यदि गणेशोत्सव के दौरान डीजे का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, तो यह ईद के अवसर पर आयोजित जुलूसों में भी हानिकारक होगा। इसलिए, अलग से आदेश की कोई आवश्यकता नहीं है, उच्च न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया। याचिकाकर्ता त्योहारों में उपयोग की जाने वाली तीव्र रोशनी (लेजर बीम) के हानिकारक प्रभावों के बारे में कोई वैज्ञानिक अध्ययन अदालत में प्रस्तुत नहीं कर सके। (Order banning DJ is not limited to Ganeshotsav it applies to all processions says Bombay High Court)

पहले ठीक से अध्ययन करने का आदेश

दरअसल, याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि कोर्ट सरकार को इस तरह का अध्ययन कराने का आदेश दे। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को याचिका के माध्यम से यह मांग करने से पहले ठीक से अध्ययन करना चाहिए था। याचिकाकर्ता ने तीव्र रोशनी के दुष्प्रभावों पर शोध क्यों नहीं किया? मोबाइल टावरों को लेकर खूब हंगामा हुआ, लेकिन, क्या आपने इसके बारे में वैज्ञानिक रिपोर्ट देखी हैं?

ऐसे मामलों में बिना वैज्ञानिक प्रमाण के फैसला कैसे दिया जाए? कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से ये सवाल भी पूछा। दरअसल, याचिकाकर्ताओं से अपेक्षा की गई थी कि वे वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देकर उस संबंध में प्रभावी आदेश पारित करने में अदालत से सहयोग करेंगे। लेकिन, अधिकतर याचिकाकर्ता बिना उचित अध्ययन के ही याचिका दायर कर देते हैं।

इस मामले में भी याचिकाकर्ताओं ने तेज रोशनी के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी। मांग को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा की हम इस मामले में विशेषज्ञ नहीं हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ओवैस पेचकर ने कोर्ट को अपनी राय के सबूत दिए। उस पर लेखों में राय व्यक्त की जाती है। यह कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है। विशेषज्ञों की अलग-अलग राय हो सकती है।हर कोई सोचता है कि उसके पास हर चीज़ का समाधान है।

इस मामले पर विचार करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपने दावे को साबित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन का सबूत देने का निर्देश दिया। हालांकि पेचकर ने अदालत को बताया कि उन्हें ऐसे किसी अध्ययन की जानकारी नहीं है. इसलिए कोर्ट ने कहा कि पहले ऐसे विषयों पर और शोध किया जाना चाहिए।

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