Sawan 2023: सावन के आखिरी सोमवार को है सोम प्रदोष व्रत, बन रहे शुभ योग, ऐसे करें रूद्राभिषेक

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Sawan 2023: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) काफी अहम माना जाता है. कहते हैं इस व्रत को करने से इंसान के सभी दोष दूर हो जाते हैं. खासकर सावन के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत को बहुत खास माना जाता है, जो कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. वैसे तो सावन (Sawan 2023) में दो प्रदोष व्रत आते हैं, लेकिन इस बार 4 प्रदोष व्रत है. सावन का आखिरी प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है.

 

प्रदोष व्रत की मूल तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त

 

प्रदोष व्रत रखने वालों को भगवान शिव की पूजा शाम को प्रदोष काल में करना चाहिए. इसलिए इसे प्रदोष नाम दिया गया है. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त ये है.

 

श्रावण शुक्ल त्रयोदशी प्रारंभः 06.23 PM (28 अगस्त 2023, सोमवार) से

 

श्रावण शुक्ल त्रयोदशी समाप्तः 02.48 PM (29 अगस्त 2023, मंगलवार) तक

 

पूजा का शुभ मुहूर्तः 06.48 PM से 09.02 PM (28 अगस्त 2023, सोमवार) तक

 

कुल अवधि: 2 घंटा 14 मिनट

 

ऐसे करें सोम प्रदोष का व्रत

 

सोम प्रदोष के दिन सबसे पहले सूर्योदय के समय उठकर स्नान करें और साफ सुथरे या नए कपड़े पहनें. इस दिन भोलेनाथ के अभिषेक, रुद्राभिषेक या श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करके मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए उनसे कामना करें. ऐसे लड़के या लड़कियां जिनकी विवाह नहीं हो रहा है, उन्हें यह व्रत करना चाहिए इससे शादी के योग जल्दी बनते हैं. इतना ही नहीं संतान की इच्छा रखने वाले लोग भी अगर इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करें, तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है. अभिषेक करने के बाद भगवान शिव पर फूलों की माला अर्पित करें, भांग, धतूरा, बेलपत्र उन्हें चढ़ाएं और सच्चे मन से उनकी प्रार्थना करें.

 

इस श्रावण सोम प्रदोष का है विशेष महात्म्य?

 

  • पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का बड़ा महात्म्य है. अगर यह प्रदोष तिथि सोमवार के दिन पड़ता है तो इसे और भी शुभ माना जाता है, क्योंकि ये दोनों ही तिथियां भगवान शिव को बहुत प्रिय है. यह सोम प्रदोष व्रत चूंकि श्रावण मास में पड़ रहा है, इसलिए इसका महात्म्य और भी ज्यादा बढ़ जाता है. यह दुर्लभ संयोग कई साल बाद पड़ रहा है. यह प्रदोष व्रत दो विशेष योगों शोभन एवं आयुष्मान योग पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है.