भारत में ही नहीं अब इस मुस्लिम देश में भी मिलीं मूर्तियां, इतिहास भी दंग

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नई दिल्ली : कुवैत में हाल ही में पुरातत्वविदों ने एक 7,000 साल पुरानी मिट्टी की मूर्ति खोजी है, जो एलियन जैसी दिखती है। यह मूर्ति मेसोपोटामिया की प्राचीन कला शैली के समान है और कुवैत और अरब की खाड़ी में ऐसी पहली मूर्ति पाई गई है। यह खोज उत्तरी कुवैत के बहरा-1 क्षेत्र में की गई, जो कभी एक प्राचीन बस्ती हुआ करती थी। इस खोज से कुवैत और आसपास के देशों की संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं के बारे में नई जानकारी मिलती है, जो इस्लाम के आगमन से पहले की प्रथाओं को दर्शाती है।

लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, यह मूर्ति उबैद संस्कृति से जुड़ी है, जो मेसोपोटामिया से आई थी। उबैद लोग छठी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में अरब की खाड़ी के नवपाषाण समाजों के बीच मिल गए थे, जिससे यह क्षेत्र सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र बन गया था। मूर्ति की बनावट से यह स्पष्ट है कि यह मेसोपोटामिया के मिट्टी से बनाई गई है, न कि अरब की खाड़ी की स्थानीय मिट्टी से। यह दर्शाता है कि उबैद लोग अपनी परंपराओं को इस क्षेत्र में लाए थे। मूर्ति में बारीकी से बने हुए सिर, तिरछी आंखें, चपटी नाक और लंबी खोपड़ी दिखाई देती है। यह मूर्ति बहरा-1 से मिली है, जो उत्तरी कुवैत में स्थित एक प्राचीन स्थल है, जहां 2009 से कुवैती और पोलिश पुरातत्वविदों की एक टीम खुदाई कर रही है।

उबैद संस्कृति के लोग रहते थे

बहरा-1 अरब प्रायद्वीप की सबसे पुरानी बस्तियों में से एक थी, जहां लोग लगभग 5500 से 4900 ईसा पूर्व तक रहते थे। उस समय इस स्थल पर उबैद संस्कृति के लोग रहते थे, जो मेसोपोटामिया में शुरू हुई थी और अपनी विशिष्ट मिट्टी के बर्तनों के लिए जानी जाती है। इसमें एलियन जैसी मूर्तियां भी शामिल हैं। वॉरसॉ विश्वविद्यालय के पोलिश सेंटर ऑफ मेडिटेरेनियन आर्कियोलॉजी की पुरातत्वविद् सिमजक के अनुसार, यह मूर्ति इस प्रकार की पहली खोज है।

प्रागैतिहासिक खाड़ी क्षेत्र और मेसोपोटामिया संबंधों को उजागर करेगी

बेल्जियम के गेन्ट विश्वविद्यालय की पुरातत्वविद् ऑरेली डेम्स का मानना है कि यह मूर्ति उस समय के धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी, साथ ही प्रागैतिहासिक खाड़ी क्षेत्र और मेसोपोटामिया के बीच संबंधों को भी उजागर करेगी। यह मूर्ति उबैद समाज के सामाजिक चलन को समझने में मदद करेगी, विशेषकर पांचवीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दौरान। विशेषज्ञ अब मूर्ति के सिर पर और गहन अध्ययन कर रहे हैं।