जेल से रिहा होते ही तिरंगा महाराज ने कहा आंदोलन जारी रहेगा मेरी हत्या होती है तो कोई भी राजनीतिक दल का नेता हमारे घर ना आए*

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*समाज सेवी पर हमला, गिरफ्तारी जेल प्रशासनिक पक्षपात प्रशासनिक निष्पक्षता और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के बजाय तिरंगा महाराज को षडयंत्र रच बना दिया निशाना तिरंगा महाराज की हत्या का प्रयास*

लखनऊ, लखनऊ।
बीकेटी और मलिहाबाद तहसील में गोमती नदी पर कब्जे व ग्राम पंचायत राजापुर सुल्तानपुर बहादुरपुर गांव के 104किसानों की गायब पट्टा पत्रावलियों के मुद्दे पर प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे तिरंगा महाराज पर जानलेवा हमला होना उनका मोबाइल फोन छीनने और पुलिस द्वारा पीड़ित को गिरफ्तार कर जेल भेजना अपने आप में प्रशासन की विफलता और प्रशासन की गुंडागर्दी को दर्शा रहा है
गोमती नदी पर कब्जा किसानों की तहसील से गायब पत्रावली निलांश वाटर पार्क विवाद और तिरंगा महाराज की गिरफ्तारी ने प्रशासनिक निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तिरंगा महाराज कई वर्षों से गरीबों की लड़ाई निस्वार्थ भाव से लड़ रहे हैं और इसी क्रम में वह प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह से मिले थे इसके बाद प्रशासन जागा था और किसानो सहित सरकारी जमीनों की पैमाइश की बात की थी।
तिरंगा महाराज द्वारा प्रमुख सचिव से शिकायत करने से अधिकारी नाराज हो गए और उन्होंने तिरंगा महाराज को रास्ते से हटाने के लिए उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा और नीलांश वाटर पार्क की नपाई के दौरान तिरंगा महाराज को मारा पीटा और उनका मोबाइल लूट लिया।
अधिकारियों द्वारा तिरंगा महाराज पर आरोप लगा दिया कि वह किसानों के साथ आए और अधिकारियों से मारपीट कर उनका नक्शा लूट लिया है।
25 नवंबर को निलांश वाटर पार्क की पैमाइश के दौरान मलिहाबाद के लेखपाल तुषार द्वारा तिरंगा महाराज पर हमला करने मोबाइल फोन छीनने का आरोप है।
चश्मदीदों के अनुसार, यह हमला अधिकारियों के आदेश पर सुनियोजित था। हैरानी की बात यह है कि एक महीना बीत जाने के बाद भी इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जिससे प्रशासन की नीयत पर शंका गहरा गई है। घटना के बाद तिरंगा महाराज ने न्याय की मांग करते हुए आंदोलन का रास्ता चुना।
किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस प्रशासन एक्टिव हो गया और उन्होंने पूरी ताकत से किसानों को धमका कर खदेड़ा ।
बुजुर्ग किसानो ने आरोप लगाते हुए कहा तिरंगा महाराज जब वह 25 दिसंबर को किसानों के धरने के लिए मलिहाबाद जा रहे थे, तब इटौंजा थाने के दरोगा धीरेंद्र राय ने उन्हें कथित तौर पर गाली-गलौज करते हुए गोमती नदी में धक्का दिया और जल समाधि देने की धमकी दी।
जिससे किसान क्रोधित हो गए और वही धरने पर बैठ कर प्रदर्शन करने लगे शाम को धरना स्थल पर पुलिस ने कई महिलाओं को धमका कर तिरंगा महाराज को जबरन गिरफ्तार कर लिया था और अगले दिन आनन फानन में जेल भेज दिया ।
किसानों और पुलिस की झड़प में कई बुजुर्ग महिला किसानों को चोट आई है
तिरंगा महाराज 27 दिसंबर को न्यायालय से जमानत मिलने के बावजूद प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण वे 28 दिसंबर को रिहा हो सके। महाराज और उनके समर्थकों की तीन प्रमुख मांगें थीं—गोमती नदी की जमीन पर अवैध कब्जा मुक्त किया जाए, 25 नवंबर को लेखपाल द्वारा किए गए हमले की एफआईआर और गायब किसानों की पत्रावलियों में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई। लेकिन प्रशासन ने इन मांगों पर ध्यान देने के बजाय तिरंगा महाराज को निशाना बनाया। , जिससे जनता में गहरी नाराजगी है।
यह घटना न केवल प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सत्ता से जुड़े लोगों ने भी इस मामले में आंखें मूंद ली हैं। रिहाई के बाद तिरंगा महाराज ने कहा, यह केवल मेरी नहीं, बल्कि जनता की लड़ाई है। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक खामियों के खिलाफ आवाज उठाना मेरा कर्तव्य है। मेरी गिरफ्तारी इस संघर्ष को रोकने की साजिश थी, लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगा। स्थानीय लोग और तिरंगा महाराज के समर्थक लगातार आवाज उठा रहे हैं । किसानो ने इस प्रशासनिक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण बताते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि जब तक तिरंगा महाराज को न्याय नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा। यह घटना केवल एक व्यक्ति के खिलाफ साजिश नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है। अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन न्याय करता है या भ्रष्टाचार और आंदोलन को कुचलने के लिए अपने रुख पर कायम रहता है।
इस तरह से घटनाओं से सरकार की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब इतने लंबे और संवेदनशील मुद्दे हैं तो सरकार और उनके जनप्रतिनिधि क्यों इस तरफ ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं अब देखने वाली बात होगी क्या सीएम योगी तक यह सूचना पहुंचती है और वह कोई ठोस कार्रवाई करते हैं
वही तिरंगा महाराज ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी जान को खतरा है और कभी भी उनकी हत्या हो सकती है।
तिरंगा महाराज ने देश की राजनीतिक पार्टियों से अपील की है कि अगर उनकी हत्या होती है तो वह लोग उनके घर राजनीति रोटियां सेकने ना आए