Shani Dev Aarti: शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार को ऐसे करें शनिदेव की पूजा और आरती, हर संकट से मिलेगा छुटकारा

Shani Dev Aarti: शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार को ऐसे करें शनिदेव की पूजा और आरती, हर संकट से मिलेगा छुटकारा

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Shani Dev Ki Aarti: हिंदू धर्म में भगवान शनि देव (Shani Dev) को एक विशेष स्थान दिया गया है। शनि देव को कर्म फल दाता और न्याय का देवता भी कहा जाता है। माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसे दंड या फल देते हैं। शनिदेव की एक नजर किसी भी व्यक्ति को रंक या राजा बना सकती है। वहीं, शनिवार के दिन विशेष रूप से भगवान शनि की पूजा किए जाने का व्यवधान है।

मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष का प्रभाव होता है, उन्हें शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। अगर आप शनिदेव की पूजा पूरे विधि-विधान से करते हैं तो आपको इन सभी दोषों और जीवन में चल रहे विभिन्न कष्टों और परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। तो चलिए बिना किसी देरी के जान लेते हैं कि आप शनिवार के दिन किस पूजा विधि के साथ भगवान शनि की उपासना कर सकते हैं और आपको कैसे उनकी आरती कर उन्हें प्रसन्न करना है।




शनिदेव की पूजा करने की सही विधि (Shani Dev Puja Vidhi)
शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
इस दिन नहाने के बाद नीले या काले रंग के साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
इस चौकी पर शनि यंत्र, शनि देव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
अब शनि देव को फूल एवं फूलों की माला अर्पित करें।
शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर प्रार्थना करें।
शनिदेव को तिल, गुड़, खिचड़ी, काले तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे शनिदेव अति प्रसन्न होते हैं।
इसके बाद भगवान शनि की स्तुति का पाठ करें।
साथ ही पूजा करते समय ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
पूजा का समापन शनिदेव की आरती के साथ करें।
इस दिन गरीब लोगों को जरूरत की चीजें व भोजन दान करें। इससे भगवान शनि की कृपा आप पर बनी रहेगी।
वहीं, घर में पूजा करने के बाद शनि मंदिर जाकर सरसों के तेल में काला तिल डालकर शनिदेव की पूजा जरूर करें।
आखिर में शनिदेव से क्षमा प्रार्थना करें और अर्पित किए गए भोग को प्रसाद के रूप में घर के सभी सदस्यों में वितरित करें।
शनि देव की आरती (Shani Dev Ki Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….

जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव….