राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत आशा और आशा संगिनी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एसडीएम इकौना को दिया ज्ञापन

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श्रावस्ती। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत आशा और आशा संगिनी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार संघर्षरत हैं। सरकार तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए वे लंबे समय से पत्राचार कर रही हैं, लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है। इसी क्रम में आशा/आशा संगिनी कर्मचारी संगठन, जनपद-श्रावस्ती ने अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को संबोधित एक 9 सुतरीय ज्ञापन सौंपा है।ज्ञापन में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देशभर में करीब 11 लाख आशा कार्यकर्ता और 1 लाख आशा संगिनी सेवाएँ दे रही हैं। स्वास्थ्य योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में इनका अहम योगदान है। कोविड-19 महामारी के दौरान आशा और आशा संगिनी ने अपनी जान जोखिम में डालकर संक्रमितों की पहचान, टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बावजूद, उनकी सेवाओं को लेकर शासन-प्रशासन का रवैया उदासीन बना हुआ है।आशा और आशा संगिनी को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए, ताकि उन्हें भी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधाएँ मिल सकें। सामाजिक सुरक्षा की गारंटी मिलेl गर्मी-सर्दी के ध्यान रखत, आशा बहिनियन के अलग-अलग ड्रेस दिया जाए। जइसे सरकारी करमचारी के रिटायरमेंट के सुविधा बा, ओइसही आशा बहिनियन के भी मिले के चाहीं। जवन आशा बहिनी ज्यादा पढ़ल-लिखल होई, ओकरा लायक प्रमोशन के मौका मिले।रिपोर्ट बनावे खातिर कागज-कलम में बहुत खरचा लागे, त स्टेशनरी खातिर अलग से भत्ता मिले। अगर कवनो आशा बहिनी के दुर्घटना में मौत हो जाई, त ओकरा परिवार के कम से कम 10 लाख के बीमा राशि मिले।ट्रेनिंग करे जाईं त ओकरा खातिर यात्रा भत्ता आ ट्रेनिंग फीस सरकार से मिले। रिटायर भइला के बाद पेंशन के सुविधा भी मिले, जइसे सरकारी करमचारी के मिले ला।आशा बहिनियन के नियम-कानून में भारत सरकार नया सुधार करस।