श्रावस्ती में थारू समुदाय की अनूठी होली:मुखिया को उबटन लगाकर करते हैं त्योहार की शुरुआत, गुरु के दरबार में होता है समापन

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श्रावस्ती जनपद में थारू जनजाति की होली मनाने की परंपरा अनूठी है। यह समुदाय गांव के मुखिया को विशेष उबटन लगाकर होली का आगाज करता है। मोतीपुर कला और भचकाही में बड़ी संख्या में रहने वाले थारू समुदाय के लोग अपनी अलग पहचान और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते हैं।

होली की शुरुआत में थारू समुदाय के लोग गाते-बजाते हुए गांव का तीन बार चक्कर लगाते हैं। फिर वे मुखिया के घर जाते हैं, जहां उन्हें विशेष उबटन (बुकवा) लगाया जाता है। मुखिया इसके बदले में उन्हें भोजन सामग्री और धन देते हैं।

भचकाही गांव में प्रताप नारायण और मोतीपुर कला में अयोध्या प्रसाद राना थारू समुदाय के गुरु हैं। समुदाय के लोग गुरु के पास जाकर उन्हें गुलाल-अबीर लगाते हैं और भजन गाकर आशीर्वाद लेते हैं। त्योहार का समापन गुरु के दरबार में होता है।

होलिका दहन की पूर्व संध्या पर थारू समुदाय का उत्सव विशेष होता है। रंग-बिरंगे वस्त्र पहने लोग परंपरागत तरीके से त्योहार मनाते हैं। इस अवसर पर थारू परिवारों में नए अन्न का पूजन भी किया जाता है। बसंत पंचमी से ही होलिका के लिए रेड़ के पेड़ लगाए जाते हैं।