यूरिया, डीएपी और एनपीके की बिक्री पर सरकार की कड़ी नजर, जिला अधिकारियों को निगरानी के निर्देश

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उर्वरक बिक्री में अनियमितता बर्दाश्त नहीं: कृषि मंत्री ने दिए सख्त निर्देश, MRP से अधिक पर नहीं बिकेगी खाद
किसानों को समय पर और उचित दामों पर उर्वरक उपलब्ध कराने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल ही में मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश में यूरिया, डीएपी और एनपीके जैसे उर्वरकों की बिक्री निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर ही की जाएगी। किसी भी दशा में किसानों को महंगे दाम पर खाद बेचने या अन्य उत्पादों की अनिवार्य टैगिंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

कृषि मंत्री ने कहा कि उर्वरक बिक्री की निगरानी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। फुटकर विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि खाद की बिक्री पारदर्शी तरीके से हो और हर किसान को रसीद अवश्य दी जाए। नियमों के उल्लंघन करने की स्थिति में आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उर्वरक वितरण पर विशेष सतर्कता
मंत्री शाही ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमाओं से सटे जिलों में उर्वरक की आपूर्ति और बिक्री पर विशेष निगरानी की जा रही है। उर्वरक वितरण में कालाबाजारी या जमाखोरी की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि 23 जून को सीतापुर और लखनऊ में खाद-उर्वरक प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण किया गया जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं। निरीक्षण दल में कृषि मंत्री के साथ अपर कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) टी.एम. त्रिपाठी, संयुक्त कृषि निदेशक (उर्वरक) आशुतोष मिश्रा और कृषि विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

उर्वरक बिक्री में अनियमितता बर्दाश्त नहीं: कृषि मंत्री ने दिए सख्त निर्देश, MRP से अधिक पर नहीं बिकेगी खाद किसानों को समय पर और उचित दामों पर उर्वरक उपलब्ध कराने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार एक्शन मोड में आ गई है। राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल ही में मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश में यूरिया, डीएपी और एनपीके जैसे उर्वरकों की बिक्री निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर ही की जाएगी। किसी भी दशा में किसानों को महंगे दाम पर खाद बेचने या अन्य उत्पादों की अनिवार्य टैगिंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि उर्वरक बिक्री की निगरानी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। फुटकर विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि खाद की बिक्री पारदर्शी तरीके से हो और हर किसान को रसीद अवश्य दी जाए। नियमों के उल्लंघन करने की स्थिति में आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। उर्वरक वितरण पर विशेष सतर्कता मंत्री शाही ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय सीमाओं से सटे जिलों में उर्वरक की आपूर्ति और बिक्री पर विशेष निगरानी की जा रही है। उर्वरक वितरण में कालाबाजारी या जमाखोरी की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि 23 जून को सीतापुर और लखनऊ में खाद-उर्वरक प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण किया गया जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं। निरीक्षण दल में कृषि मंत्री के साथ अपर कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) टी.एम. त्रिपाठी, संयुक्त कृषि निदेशक (उर्वरक) आशुतोष मिश्रा और कृषि विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे। सीतापुर में मिली अनियमितताएं, प्रतिष्ठान सील सीतापुर में हुई प्रमुख कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि जैन इंटरप्राइजेज में स्टॉक में गड़बड़ी, गलत रजिस्टर और कम मात्रा में यूरिया वितरण की शिकायतें मिलीं। प्रतिष्ठान को तत्काल सील कर विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। श्री बालाजी एग्रो ट्रेडर्स, जेल रोड, सीतापुर में स्टॉक का मिलान सही नहीं पाया गया, प्रतिष्ठान को सील कर जांच उपजिलाधिकारी की उपस्थिति में की जाएगी। बालाजी ट्रेडर्स, सिधौली द्वारा स्टॉक और बिक्री रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया और रेट बोर्ड भी नहीं लगाया गया था। किसानों से बयान लेकर अनियमितता की पुष्टि के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अन्य प्रतिष्ठान जैसे ए.एन.वी. एग्रो एंड केमिकल्स, न्यू अय्यूब खाद भंडार, न्यू अंसारी खाद भंडार और तराई बीज भंडार के प्रतिनिधि मौके से भाग गए और अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर सके, जिस कारण इन प्रतिष्ठानों को भी सील कर दिया गया है।

सीतापुर में मिली अनियमितताएं, प्रतिष्ठान सील
सीतापुर में हुई प्रमुख कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि जैन इंटरप्राइजेज में स्टॉक में गड़बड़ी, गलत रजिस्टर और कम मात्रा में यूरिया वितरण की शिकायतें मिलीं। प्रतिष्ठान को तत्काल सील कर विधिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। श्री बालाजी एग्रो ट्रेडर्स, जेल रोड, सीतापुर में स्टॉक का मिलान सही नहीं पाया गया, प्रतिष्ठान को सील कर जांच उपजिलाधिकारी की उपस्थिति में की जाएगी। बालाजी ट्रेडर्स, सिधौली द्वारा स्टॉक और बिक्री रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया और रेट बोर्ड भी नहीं लगाया गया था। किसानों से बयान लेकर अनियमितता की पुष्टि के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अन्य प्रतिष्ठान जैसे ए.एन.वी. एग्रो एंड केमिकल्स, न्यू अय्यूब खाद भंडार, न्यू अंसारी खाद भंडार और तराई बीज भंडार के प्रतिनिधि मौके से भाग गए और अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर सके, जिस कारण इन प्रतिष्ठानों को भी सील कर दिया गया है।

लखनऊ में भी कार्रवाई, एमआरपी से अधिक पर यूरिया बेचने पर लाइसेंस निलंबित
लखनऊ में भी खाद-उर्वरक की बिक्री में अनियमितता सामने आई है। किसान खाद भंडार, बेहटा, कुर्सी रोड द्वारा निर्धारित दर 266.50 रुपए प्रति बैग से अधिक पर यूरिया बेचने की पुष्टि हुई। इसी प्रकार, थोक विक्रेताओं ओम प्रकाश और जय प्रकाश द्वारा फुटकर विक्रेताओं को 300 रुपए प्रति बैग की दर से यूरिया बेचा जा रहा था। दोनों विक्रेताओं के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं और विधिक कार्यवाही की जा रही है। पाल खाद भंडार, कल्याणपुर में बिक्री रजिस्टर में किसानों के विवरण अधूरे पाए गए। फोन पर संपर्क करने पर कई नंबर या तो गलत थे या बंद। प्रतिष्ठान को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है।

पीओएस मशीन से ही हो खाद की बिक्री
कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब खाद की बिक्री केवल पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन के माध्यम से ही होगी और यह बिक्री किसान की जोत बही एवं फसल की संस्तुति के आधार पर सुनिश्चित की जाएगी। नीम कोटेड यूरिया का औद्योगिक उपयोग रोकने के लिए विशेष निगरानी अभियान चलाया जाएगा। साथ ही, सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और कृषि अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि खाद वितरण पर निरंतर नजर रखी जाए।


खरीफ 2025 के लिए पर्याप्त स्टॉक
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि खरीफ 2025 के लिए प्रदेश में 39.58 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति की जा चुकी है, जिसमें से 25.62 लाख मीट्रिक टन की बिक्री हो चुकी है और वर्तमान में 9.91 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक उपलब्ध है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार खाद वितरण और उपलब्धता की स्थिति बेहतर है। सरकार का प्रयास है कि किसानों को सही समय पर, सही दर पर और पारदर्शी तरीके से उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित हो। सरकार का यह कदम न केवल किसानों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि उर्वरक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित करता है।