इजराइल-फिलिस्तीन के बीच विवाद का है लंबा इतिहास, क्यों हमास करता है हमला, जानिए ताजा संघर्ष की वजह

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इजरायल और हमास के बीच बीते शनिवार से युद्ध जारी है. दुनिया के तमाम देशों ने दोनों पक्षों के बीच हिंसक हमलों को लेकर प्रतिक्रिया दर्ज कराई है. इजराइल और फिलिस्तीन (Israel-Palestine) के बीच संघर्ष का लंबा इतिहास है. इन दोनों देशों के बीच पिछले कई महीनों से हिंसक संघर्ष बढ़ने की घटनाओं के बीच गाजा से शनिवार को सुबह 6:30 बजे इजराइल पर रॉकेटों की बारिश शुरू हो गई. इससे वेस्ट बैंक में सालों में बड़ी संख्या में मौतें हुईं. वेस्ट बैंक वह स्थान है जिस पर 1967 के अरब-इजराइल संघर्ष के बाद इजरायल ने कब्जा कर लिया था.

क्या है भौगोलिक स्थिति 
इजराइल और फिलस्तीन के बीच विवाद कोई नया नहीं है. सबसे पहले हम इसकी भौगोलिक स्थिति के बारे में समझते हैं. दरअसल, इजराइल के पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में दो अलग-अलग क्षेत्र मौजूद हैं. पूर्वी हिस्से में वेस्ट बैंक और दक्षिण-पश्चिम हिस्से में एक पट्टी है, जिसे गाजा पट्टी के तौर पर जाना जाता है. वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को ही फिलस्तीन माना जाता है. हालांकि, वेस्ट बैंक में फिलस्तीन नेशनल अथॉरिटी सरकार चलाती है और गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है.






इजराइल को देश नहीं मानता हमास
भले ही इजराइल के प्रधानमंत्री यह कह रहे हो कि हम युद्ध में हैं और हमास को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हो, लेकिन हमास को तो जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा है. दरअसल, हमास इजराइल को देश के तौर पर देखता ही नहीं है और उसे निशाना बनाता रहता है, जबकि इजराइल और अमेरिका हमास को एक चरमपंथी संगठन मानते हैं. साथ ही हमास को नेस्तनाबूत करने की मंशा रखते हैं.

संघर्ष की कहानी बहुत पुरानी
पहले विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. फिलिस्तीन में यहूदी अल्पसंख्यक थे और अरब बहुसंख्यक थे. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ब्रिटेन को फिलिस्तीन में यहूदी मातृभूमि बनाने का काम सौंपा था. इस पर दोनों समूहों के बीच तनाव बढ़ गया.

फिलिस्तीन में यहूदी अप्रवासियों की संख्या में 1920 और 1940 के दशक में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. कई यहूदी यूरोप में उत्पीड़न से भाग गए और मातृभूमि की तलाश में यहां पहुंचे.

यहूदियों और अरबों के बीच तनाव बढ़ने लगा और साथ ही ब्रिटिश शासन का प्रतिरोध तेज हो गया. सन 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो अलग-अलग यहूदी और अरब राष्ट्रों में बांटने के लिए वोटिंग की. इसमें येरूशलम को अंतरराष्ट्रीय प्रशासन के अधीन रखा गया. यहूदी नेतृत्व ने योजना को स्वीकार कर लिया, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया और इसे कभी लागू नहीं किया.






संघर्ष को समाप्त करने में नाकाम रहे ब्रिटिश अधिकारी सन 1948 में पीछे हट गए और यहूदी नेताओं ने इजराइल की स्थापना की घोषणा कर दी. कई फिलिस्तीनियों ने इसका विरोध किया और युद्ध छिड़ गया. पड़ोसी अरब देशों ने इस मामले में सैन्य बल के साथ हस्तक्षेप किया. सैकड़ों-हजारों फिलिस्तीनी भाग गए या उन्हें अपने घरों से निकाल दिया गया, जिसे वे अल नकबा या “द कैटास्ट्रोफ” कहते हैं.

पिछले कुछ सालों में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच कई झड़पें हुई हैं. इनमें से कुछ मामूली संघर्ष थे तो कुछ विनाशकारी. इनमें हजारों लोगों की मौत हुई.

सन 1987 में हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया (हमास) यानी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन की स्थापना की गई. यह सैन्य क्षमताओं वाला एक राजनीतिक समूह है, जिसे एक अंतरराष्ट्रीय सुन्नी इस्लामवादी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड की एक राजनीतिक शाखा के रूप में फिलिस्तीनी मौलवी शेख अहमद यासीन ने शुरू किया था.

दो फिलिस्तीनी विद्रोहों (इंतिफादा) ने इजराइल-फिलिस्तीनी संबंधों पर गहरा असर डाला, खासकर दूसरे विद्रोह ने. इसने 1990 के दशक की शांति प्रक्रिया को समाप्त कर दिया और एक नए संघर्ष का सिलसिला शुरू हो गया.दोनों इंतिफादा में हमास की भागीदारी थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 11 जुलाई 2000 को कैंप डेविड शिखर सम्मेलन बुलाया. इसमें इजराइली प्रधानमंत्री एहुद बराक और फिलिस्तीनी अथॉरिटी के चेयरमैन यासर अराफात को अंतिम दौर की गहन वार्ता के लिए एक साथ लाया गया. लेकिन यह शिखर सम्मेलन बिना किसी फैसले के समाप्त हो गया. इससे दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए.

अमेरिका सहित इन देशों की नजर में हमास है आतंकी संगठन
हमास को सिर्फ इजराइल ही नहीं बल्कि अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, मिस्र और जापान भी आतंकवादी संगठन मानते हैं. लेकिन चीन, मिस्त्र, ईरान नॉर्वे, कतर, ब्राजील, रूस, तुर्की और सीरिया इसे आतंकी संगठन नहीं मानते हैं. हमास उस क्षेत्रीय गठबंधन का हिस्सा है, जिसमें ईरान, सीरिया और लेबनान में शिया इस्लामी समूह हिजबुल्लाह शामिल हैं. यह संगठन मध्य पूर्व और इजराइल में अमेरिकी नीति का व्यापक रूप से विरोध करता है. हमास गाजा इलाके में काफी ताकतवर है. फिलिस्तीनी कब्जे वाले इलाकों में भी हमास के समर्थक बड़ी संख्या में हैं.

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