बस्ती: जान से खिलवाड़: अवैध तरीके से अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी सेंटर के संचालन से मरीज परेशान.. अवैध पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड सेंटर की भरमार, नकेल नहीं

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बस्ती के रूधौली ब्लॉक क्षेत्र में दर्जन भर से अधिक पैथोलॉजी सेंटर व अल्ट्रासाउंड केंद्र धड़ल्ले से चल रहे हैं।

बस्ती जिले के रूधौली स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रूधौली के सामने संचालित अवैध रूप से स्कैनिंग/अल्ट्रासाउंड सेंटर, पैथालॉजी व बीच बाजार में एक्सरे, पैथोलॉजी, ईसीजी व डिजिटल एक्सरे सेंटर का खुलेआम साइनबोर्ड लगाकर मरीजों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां अल्ट्रासाउंड व एक्सरे सेंटर में रेडियोलॉजिस्ट नहीं रहते हैं।

बताया तो यहां तक जाता है कि विकास खण्ड रुधौली क्षेत्र के कईयों पैथालॉजी व झोलाछाप द्वारा दुकान सजाकर नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। चर्चा तो यहां तक है कि जिले के समस्त जिम्मेदारों को समस्त अवैध कार्यों की जानकारी पूर्व से ही रहती है परन्तु करेंसी की चमक व कड़क के आगे उन्हें कुछ दिखाई सुनाई नहीं पड़ता जो जांच का विषय है।

मनमानी: जान से खिलवाड़: अवैध तरीके से अल्ट्रासाउंड व पैथोलॉजी सेंटर के संचालन से मरीज परेशान

स्वास्थ्य विभाग की कृपा से जिले में अवैध अल्ट्रासाउंड व पैलोलॉजिकल जांच सेंटरों की चांदी कट रही है तो दूसरी ओर ऐसे सेंटरों के कारनामो से मरीजों की जान सांसत में फंस रही है। दरअसल अप्रशिक्षित कर्मियों के द्वारा संचालित हो रहे ऐसे सेंटरों की गलत रिपोर्टिंग से इलाज की दिशा बदल रही है और कई दफे मरीज खतनाक स्थिति में पहुंच रहे हैं। नगर में पग-पग पर संचालित अल्ट्रासाउंड एवं पैथोलैब जांच सेंटरों का फर्जी तरीके से खूलेआम संचालन हो रहा है। दरअसल यहां के अधिकांश पैथोलॉजी के जांच लैब की स्थापना का खर्च एक चाय के स्टॉल से भी कम पड़ता है।




विभाग के जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानते हुए आंख मूंदकर

बस्ती जिले के रुधौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में कुछ ऐसे अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी सेंटर है कि जो अवैध रूप से चलाया जा रहे हैं।    जिनके पास कोई रजिस्ट्रेशन नहीं। आखिर यह किसके बल पर चला रहे हैं अवैध अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी सेंटर।




बस्ती जिले में अवैध पैथोलॉजी की जांच कर कार्रवाई करने से संबंधित आदेश को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने दबा रखा है। नगर से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुधौली की गली-गली में पैथोलॉजी खुल गए हैं। यह लैब खुलेआम मानकों की अनदेखी कर रहे हैं। स्पष्ट निर्देश है कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैथोलॉजी और किसी तरह के जांच केंद्र नहीं संचालित होंगे। स्थिति यह है कि कई जगह लैब टेक्नीशियन ही जांच घर खोलकर जांच कर रहे हैं तो कई जगह बिना किसी डिग्री के भी पैथोलॉजी सेंटर का संचालन हो रहा है। सिर्फ शहर में लगभग 100 से अधिक पैथोलॉजी हैं। इनमें महज एक दर्जन पैथोलॉजी ही स्वास्थ्य विभाग से रजिस्टर्ड है। हालांकि इसमें आधे से अधिक पैथोलॉजी फिर से खुल गए हैं।

नगर का कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां पर पैथोलॉजी सेंटर नजर नहीं आते हों। खासकर कोरोना काल के बाद जिले में अचानक से पैथोलॉजी सेंटरों की भरमार हो गई है। बावजूद सीएस कभी कोरोना तो कभी अन्य कार्यों का हवाला देकर फिर से छापामारी के लिए बैठक बुलाने का दंभ भर रहे हैं। शिकायत भी की लेकिन ऐसे पैथोलॉजी पर कार्रवाई करने के बजाए मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

स्वास्थ्य विभाग की कृपा से जिले में अवैध अल्ट्रासाउंड व पैलोलॉजिकल जांच सेंटरों की चांदी कट रही है तो दूसरी ओर ऐसे सेंटरों के कारनामो से मरीजों की जान सांसत में फंस रही है। दरअसल अप्रशिक्षित कर्मियों के द्वारा संचालित हो रहे ऐसे सेंटरों की गलत रिपोर्टिंग से इलाज की दिशा बदल रही है और कई दफे मरीज खतनाक स्थिति में पहुंच रहे हैं। नगर में पग-पग पर संचालित अल्ट्रासाउंड एवं पैथोलैब जांच सेंटरों का फर्जी तरीके से खूलेआम संचालन हो रहा है। दरअसल यहां के अधिकांश पैथोलॉजी के जांच लैब की स्थापना का खर्च एक चाय के स्टॉल से भी कम पड़ता है।

अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर जिम्मेदार ही मेहरबान

गिरते लगानुपात को लेकर जिम्मेदार महकमा ही अवैध ढंग से संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर इन दिनों अधिक मेहरबान है। अवैध ढंग से संचालित इन अल्ट्रासांउड केंद्र के संचालक विभाग के जिम्मेदार अफसरों से सीधे संपर्क में हैं, यही कारण है कि प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी इन पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है। चर्चा तो इस बात की भी है कि अफसर व केंद्र संचालकों के बीच आपसी एक अनुबंध है, इसी आधार पर ऐसे केंद्र बेरोक-टोक संचालित हो रहे हैं। हालांकि सिविल सर्जन ने यहां संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच के लिए एक टीम गठित किया है। टीम के सदस्यों ने एक सप्ताह पूर्व कई अल्ट्रासाउंड केंद्रों की जांच भी की थी। इन केंद्रों में गड़बड़ियां भी मिली। संभवत: टीम की ओर से कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजा गया। लेकिन अब तक कोई खास कार्रवाई नहीं हुई है। संबंधित अल्ट्रासाउंड केंद्र पूर्ववत संचालित हैं। केंद्र के संचालकों को कोई भय भी नहीं है।

कभी नहीं आते चिकित्सक

नगर में संचालित हो रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों की वास्तव में जांच की जाए तो कई रोचक तथ्य सामने आएंगे। नगर में संचालित कुछ अल्ट्रासांउड केंद्रों पर जिन चिकित्सकों के नाम व पंजीयन दिखाया जा रहा है , वे चिकित्सक इन अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर कभी नहीं आते हैं। इस बात से आम नागरिकों के साथ-साथ खुद स्वास्थ्य महकमा भी अवगत है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अवैध ढंग से संचालित हो रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर आखिर कौन महेरबान है, जिसकी वजह से यह धंधा धड़ल्ले से संचालित हो रहा है।

 

बगैर पंजीयन व अप्रशिक्षित व्यक्तियों के हाथ से संचालित इन केंद्रों पर प्रशासन ने पूरी तौर से खामोशी की चादर ओढ़ ली है। कभी कभार अभियान चलाया भी जाता है तो वह महज औपचारिक बनकर रह जाता है। कन्या भ्रूण हत्या को लेकर गंभीर शासन-प्रशासन की नजरें अपंजीकृत व अप्रशिक्षित के हाथों चल रहे अल्ट्रासाउंड केंन्द्रों पर नहीं पड़ रही है। इनके द्वारा धड़ल्ले से ¨लग पहचान कर पुख्ता जानकारी दी जा रही है, जिससे लड़का-लड़की की पहचान का गलत रिपोर्ट देकर पीड़ितों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है। अवैध रूप से चल रहे केंद्रों पर नजर तभी पड़ती है, जब शासन की ओर से कोई निर्देश आए या फिर कोई गंभीर शिकायत प्राप्त हो।