मुंबई में समुद्र का पानी मीठा करने को दिसंबर में टेंडर! जानें क्या है बीएमसी का पूरा प्लान

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मुंबई में पानी की किल्लत किसी से छिपी नहीं। बारिश में भरने वाली झीलों से पीने का पानी घरों तक पहुंचता है। बारिश पर मुंबई में पानी की सप्लाई आश्रित रहती है। ऐसे में अब समुद्र के पानी को अगर पीने लायक बना लिया गया तो लोगों को पानी आसानी से मिल सकेगा।

100 प्रतिशत रिन्यूवल एनर्जी वाला बीएमसी का पहला प्रॉजेक्ट
समुद्र के पानी को पीने लायक बनाने पर होगा काम

20 तक देखभाल और मरम्मत पर खर्च होंगे 1920 करोड़

मुंबई : समुद्र के पानी को मीठा करने के लिए प्रस्तावित मनोरी प्रॉजेक्ट का दिसंबर में टेंडर जारी होने की उम्मीद है। यह मुंबई में बीएमसी का पहला प्रॉजेक्ट होगा, जिसमें 100 प्रतिशत रिन्यूवल एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। बीएमसी के अडिशनल कमिश्नर पी़ वेलरासू के अनुसार बीएमसी तय कर रही है कि प्रॉजेक्ट निर्माण में रिन्यूवल एनर्जी के लिए एकसाथ टेंडर निकाला जाए या अलग-अलग, इसलिए टेंडर निकालने में थोड़ी देर हुई है। उम्मीद है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रॉजेक्ट के लिए टेंडर जारी होगा। इस प्रॉजेक्ट से मुंबई को प्रतिदिन 200 एमएलडी पानी मिलेगा, जबकि दूसरे चरण में 400 एमएलडी पानी मिलेगा। मुंबई में पानी की किल्लत दूर करने के लिए यह प्रॉजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है। बीएमसी ने इसके लिए डीपीआर और सर्वे का काम पूरा कर लिया है। टेंडर तैयार करने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई थी। टेंडर का फाइनल प्रारूप तैयार है, इसे दिसंबर के पहले सप्ताह जारी कर दिया जाएगा। प्रॉजेक्ट पर बीएमसी 3520 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसमें पीने योग्य पानी बनाने में 1600 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा अगले 20 वर्षों तक इसकी देखभाल और मरम्मत पर 1920 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए वर्क ऑर्डर जारी होने के 36 महीने का लक्ष्य रखा गया है।

इस प्रॉजेक्ट पर कुल 8500 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है। इसमें समुद्र के पानी को मीठा करने पर 3520 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बाकी करीब 5000 करोड़ का खर्च रिन्यूवल एनर्जी के निर्माण और उसके 20 साल के रख-रखाव पर खर्च होने की उम्मीद है।

पर्यावरण से कोई नुकसान नहीं’

इस प्रॉजेक्ट से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा। अधिकारी ने कहा कि टेंडर में विशेष रूप से यह शर्त डाली गई है कि प्रॉजेक्ट के निर्माण में ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल होगा। हालांकि, यह तय करना बाकी है कि रिन्यूवल एनर्जी और पानी को मीठा करने के लिए एक टेंडर होगा या दो, यह तय नहीं है।

बीजेपी ने किया था विरोध

मुंबई में समुद्र के पानी को मीठा करने की परिकल्पना वर्षों पुरानी है। लेकिन उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान इस प्रॉजेक्ट को गति मिली। बीजेपी शुरू से इस प्रॉजेक्ट का विरोध कर रही है। उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान जब इसे बीएमसी में मंजूरी दी गई, तब बीजेपी के नेताओं ने इसका यह कहते हुए विरोध किया था कि यह काफी महंगा प्रॉजेक्ट है। बीजेपी का आरोप था कि गारगाई के मुकाबले यह डबल खर्च वाला प्रॉजेक्ट है। इससे कम खर्च पर गारगाई प्रॉजेक्ट से मुंबई को प्रतिदिन 450 एमएलडी पानी मिलता है। बीएमसी कमिश्नर चहल ने बीजेपी के विरोध को दरकिनार कर इसे आगे बढ़ने का फैसला किया है।

प्रॉजेक्ट के लेट होने की वजहें

बीएमसी की यह महत्वाकांक्षी योजना लंबे इंतजार के बाद ट्रैक पर लौटी है। प्रॉजेक्ट के लिए बीएमसी ने इससे पहले मई, 2022 में टेंडर निकालने की योजना बनाई थी। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर के कारण इसमें देरी हुई। फिर मई, 2023 में टेंडर जारी करने की तैयारी की गई, लेकिन तकनीकी कारणों से टेंडर नहीं जारी किया जा सका। इस प्रॉजेक्ट के तैयार होने पर पहले चरण में प्रतिदिन मुंबई को 200 एमएलडी पानी मिलेगा। प्रॉजेक्ट के दूसरे चरण में मुंबई को 400 एमएलडी पानी की प्रतिदिन आपूर्ति होगी। यदि समुद्र से पानी मीठा करने की योजना सफल होती है, तो यह पानी की दिक्कत खत्म करने के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगा।