सिद्धार्थनगर: गेहूं की सिंचाई के लिए किसानों पर पड़ रही महंगे डीजल की मार

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सिद्धार्थनगर। बांसी तहसील के क्षेत्र के करही माइनर नहर, किसानों के लिए बेमानी साबित हो रही है। नहर में पानी छोड़े जाने की बात तो दूर, अभी तक उसकी सफाई कराने की जहमत नहीं उठाई गई है।
गेहूं के फसल बुवाई हुए तकरीबन तीन सप्ताह बीतने को हैं, और इसी समय किसान फसल की सिंचाई करते हैं। नहर में पानी छोड़े जाने की आस लगाए किसानों को अब दोहरा झटका लग रहा है। बुवाई के समय जहां उन्हें यूरिया व डीएपी के लिए धक्के खाने पड़े, वहीं अब बुवाई के लिए महंगे डीजल की खरीदारी में उनकी जेब ढीली हो रही है।



मजबूरन किसान पंपिंग सेट चलाकर गेहूं के फसल की सिंचाई कर रहे हैं। उन किसानों के लिए यह स्थिति और भी भारी पड़ रही है, जिनके पास अपनी बोरिंग और पंपिंग सेट नहीं हैं। उन्हें मंहगा किराया देकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ रही है।

ग्राम अवारी निवासी किसान गुलाम ने बताया कि उनके पास पंपिंग सेट नहीं है। नहर में पानी आने का इंतजार था, अब उन्हें 250 रुपये घंटे के हिसाब से खेत में पानी चलवाना पड़ रहा है। घोसियारी निवासी संतोष का कहना है कि अब नहर में पानी आने की उम्मीद भी कम है।
क्योंकि इस साल नहर को साफ तक नहीं किया गया। मजबूरन उन्हें डीजल खरीद कर पंपिंग सेट के सहारे खेत की सिंचाई करनी पड़ेगी। क्षेत्रीय किसानों ने नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है, ताकि महंगाई के दौर में खेतों की सिंचाई में उनकी बचत हो सके।

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