तहसील इकौना के वकीलों ने अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के विरोध, केंद्र सरकार के विरोध में किया कलम बंद हड़ताल व जाम किया बौद्ध परिपथ

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श्रावस्ती।लोगों की न्याय व्यवस्था के लिए लड़ाई लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले वकीलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता विधेयक में हो रहे संशोधन को लेकर वकीलों में नाराजगी है।वकील पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं।वकीलों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा विधेयक में किए जा रहे संशोधन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। शुक्रवार को
प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 को लेकर तहसील इकौना के अधिवक्ताओं ने बौद्ध परिपथ जाम किया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और एसडीएम इकौना को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया है। शुक्रवार को तहसील इकौना के अधिवक्ता प्रस्तावित बिल के विरोध में आंदोलनत रहे। और पूरे दिन काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। शुक्रवार को तहसील इकौना के वकीलों केन्द्र सरकार के विरोध में जुलूस भी निकाला ।
अधिवक्ता संघ इकौना के अध्यक्ष पवन कुमार मिश्र व श्रीधर द्विवेदी ने बताया कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 में कुछ संशोधन प्रस्तावित किया गया है। सन्दर्भित संशोधन अधिवक्ता समाज के स्वतंत्रता का हनन है। प्रस्तावित संशोधन के माध्यम से अधिवक्ताओं के आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है एवं तमाम अधिवक्ताओं के सम्मान विरोध कार्य बिल में प्रस्तावित है, जिससे अधिवक्ताओं में आक्रोश है। उन्होंने बताया कि इस बिल के विरोध में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया।

प्रर्दशन के दौरान संघ के पूर्व अध्यक्ष ए के सिंह ने कहा कि
केंद्र सरकार ने अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा जारी किया है। कहा कि ये संशोधन अधिवक्ताओं पर जबरन थोपने का प्रयास किया जा रहा है। पूर्व अध्यक्ष उदय राज तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार इस विधेयक में जो संशोधन करने जा रही है, उससे यह साफ है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से वकीलों की फ्रीडम ऑफ स्पीच को खत्म करने का प्रयास कर रही है। पूर्व अध्यक्ष दिलीप शर्मा ने कहा कि संविधान के धारा 19 (1) ए के अंतर्गत जो बोलने की स्वतंत्रता दी गई है, उस पर सरकार द्वारा अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कानून के तहत वकीलों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता रामकुमार शुक्ल ने कहा कि वकील जब किसी मामले की जिरह करता है तो कई बार उसे आक्रामक रुख दिखाना पड़ता है, लेकिन इस कानून के बाद वकीलों में डर पैदा हो जाएगा। हालांकि मसौदे पर लोगों की राय भी मांगी गई है फिर भी यह वकीलों की स्वतंत्रता का हनन है।इस दौरान पूर्व अध्यक्ष हुकुमचंद त्रिपाठी, बुद्धि सागर मिश्र, सुरेन्द्र कुमार मिश्र,पाटेश्वरी प्रसाद मिश्र, वंशराज शुक्ल, विजय श्रीवास्तव, राजेन्द्र प्रसाद मिश्र,ओम प्रकाश दूबे,श्याम किशोर मिश्र, राधेश्याम मिश्र, आशुतोष पाठक, मुनेश्वर दयाल पांडेय, सुधीर कुमार शुक्ल, सुमित मिश्र, के के तिवारी,फणिधर द्विवेदी, रविन्द्र मिश्र, भरतलाल मिश्र,अनिल कुमार मिश्र, राजकुमार मिश्र, त्रिवेणी प्रसाद सहित भारी संख्या में अधिवक्ताओं ने अपने विचार रखे।बता दें कि अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है। इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं।इसके तहत धारा 35- ए को शामिल किया जा रहा है। इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है। अब इस विधेयक को लेकर अधिवक्ताओं में जबरदस्त नाराजगी का माहौल देखने को मिल रहा है, और वह इस कानून के खिलाफ हर स्तर पर अपनी आवाज को उठाने को तैयार है। शुक्रवार को तहसील इकौना के अधिवक्ताओं ने एसडीएम कार्यालय और बौद्ध परिपथ पर प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। और कानून में अधिवक्ताओं के खिलाफ शामिल नियमों को वापस लिए जाने की मांग की।