बुधवार, 17 दिसंबर का दिन भारतीय रुपये के लिए किसी ‘संजीवनी’ से कम नहीं रहा. पिछले चार दिनों से डॉलर के मुकाबले रसातल में जा रहे रुपये ने अचानक ऐसी रफ्तार पकड़ी कि बाजार के दिग्गज भी हैरान रह गए. लगातार ऐतिहासिक गिरावट झेलने के बाद, रुपये ने जबरदस्त वापसी की और एक ही दिन में 1% से ज्यादा की मजबूती दर्ज की. दरअसल, मंगलवार के 91.03 के लेवल के मुकाबले बुधवार को रुपया 91.07 पर कमजोर खुला था. लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह करेंसी मार्केट के लिए एक बड़ा टर्नअराउंड साबित हुआ |
RBI की एंट्री से डॉलर का ‘यू-टर्न’
बाजार में जैसे ही रुपये ने कमजोरी दिखाई, सरकारी बैंकों ने मोर्चा संभाल लिया. डीलरों के मुताबिक, सरकारी बैंकों ने संभवतः RBI के निर्देश पर भारी मात्रा में डॉलर बेचना शुरू किया. इसका असर यह हुआ कि डॉलर, जो अजेय लग रहा था, अचानक दबाव में आ गया. देखते ही देखते रुपया 90.25 के स्तर तक मजबूत हो गया |
हालांकि, डीलरों का यह भी कहना है कि यह रिकवरी सिर्फ RBI के दखल का नतीजा नहीं थी. बाजार खुद भी मान रहा था कि 91 रुपये प्रति डॉलर का भाव कुछ ज्यादा ही ऊंचा हो गया है. तकनीकी भाषा में कहें तो मार्केट ‘ओवरबॉट’ ज़ोन में था, यानी अब सुधार की गुंजाइश बन रही थी |
सिर्फ RBI ही नहीं, इन दो वजहों से भी टूटी डॉलर की कमर
रुपये की इस शानदार वापसी के पीछे दो और बड़े कारण रहे. पहला, कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में आई नरमी ने भारत के इंपोर्ट बिल को लेकर चिंता कम की. दूसरा, जब ट्रेडर्स ने देखा कि डॉलर 91 के लेवल पर अटक रहा है और रेजिस्टेंस (बाधा) महसूस कर रहा है, तो उन्होंने अपनी ‘लॉन्ग पोज़िशन’ (डॉलर खरीदने के सौदे) काटनी शुरू कर दी |
3R इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के फाउंडर नीरज सेठ का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में विदेशी निवेश (Flows) उम्मीद के मुताबिक नहीं आया है और अमेरिका के साथ ट्रेड डील में हो रही देरी ने भी बाजार को थका दिया था | उनका कहना है, “RBI अब बाजार में थोड़ी बहुत उठापटक (Volatility) को बर्दाश्त करने के मूड में है, बजाय इसके कि वह हर छोटी हलचल को सख्ती से कंट्रोल करे |
क्या 90 के लेवल पर टिक पाएगा रुपया?
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर कनिका पसरीचा का मानना है कि रुपये का 91 के पार जाना फंडामेंटल यानी बुनियादी तौर पर सही नहीं था. उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि रुपया 89-90 के बीच रहेगा | 90 के पार जाना एक ‘ओवरशूट’ था. RBI की मौजूदगी ने बाजार को संभाला है और मार्च तक रुपया 90 या उससे नीचे के तार्किक स्तर पर वापस आ सकता है |
वहीं, सीनियर फॉरेक्स एक्सपर्ट केएन डे के मुताबिक, साल का अंत होने वाला है और इस समय बाजार में लिक्विडिटी (पैसे का प्रवाह) कम हो जाती है | ऐसे में छोटे सौदे भी बड़े उतार-चढ़ाव ला सकते हैं. उन्होंने सलाह दी कि जनवरी के दूसरे पखवाड़े से ही असली स्थिरता देखने को मिल सकती है, जब विदेशी निवेशक छुट्टियों से लौटेंगे |

































