अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले ही दावेदारों की जेब पर भार पड़ने वाला है। राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन शुल्क, जमानत राशि और चुनावी खर्च सीमा में भारी बढ़ोतरी की है। आयोग के इस कदम को ग्रामीण ‘चुनावी टैक्स’ के रूप में देख रहे हैं।
ग्राम प्रधान और अन्य पदों पर खर्च बढ़ा
आयोग द्वारा तय की गई नई दरों के अनुसार, ग्राम प्रधान और अन्य पदों के लिए नामांकन, जमानत राशि और चुनावी खर्च सीमा में 50 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई है।
इसी क्रम में प्रधान ग्राम पंचायत पद के लिए नामांकन पत्र का मूल्य 600 तथा जमानत राशि 3,000 तय की गई है। इन वर्गों के आरक्षित उम्मीदवारों के लिए यह 300 और 1,500 होगी। इस श्रेणी के उम्मीदवार अधिकतम 1,25,000 तक चुनाव व्यय कर सकेंगे।
सदस्य क्षेत्र पंचायत पद के लिए सामान्य उम्मीदवारों को 600 रुपये नामांकन शुल्क और 3,000 जमानत राशि देनी होगी, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए यह क्रमशः 300 और 1,500 तय की गई है।
जिला पंचायत चुनाव सबसे महंगा
नई दरों के अनुसार, जिला पंचायत चुनाव सबसे महंगा साबित होगा:
सदस्य पद की खर्च सीमा: 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी गई है।
सदस्य पद की जमानत राशि: 4,000 रुपये के स्थान पर 8,000 रुपये।
सदस्य पद का नामांकन शुल्क: 500 रुपये के बदले 1,000 रुपये।
अध्यक्ष पद के उम्मीदवार: अब 4 लाख की जगह 7 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे।
प्रधान प्रत्याशी ने इस फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “अब गांव का प्रधान बनना सेवा भावना पर नहीं, बल्कि जेब की ताकत पर निर्भर करेगा।” उन्होंने इसे ग्रामीण लोकतंत्र में आर्थिक असमानता बढ़ाने वाला कदम बताया।
हालांकि, महिला, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों को नामांकन व जमानत राशि में पहले की तरह 50 प्रतिशत की छूट मिलती रहेगी, लेकिन चुनावी खर्च सीमा सभी उम्मीदवारों के लिए समान रहेगी।












