वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में हर तत्व — चाहे वह जल हो, अग्नि हो, वायु या पृथ्वी — अपनी दिशा और ऊर्जा के अनुसार काम करता है। इन तत्वों का संतुलन न केवल घर के वातावरण को प्रभावित करता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। पानी या जल तत्व जीवन का आधार है, इसलिए इसका सही स्थान पर होना अत्यंत आवश्यक है। अगर जल से जुड़ी वस्तुएँ गलत दिशा में लगाई जाएँ, तो यह नकारात्मक ऊर्जा पैदा कर सकती हैं। आइए जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पानी से जुड़ी चीज़ें किस दिशा में लगानी चाहिए।
पानी का नल और शावर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पानी का नल (Tap) और शावर (Shower) को उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा जल तत्व की होती है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। ईशान कोण से पानी का बहाव जीवन में शांति, समृद्धि और स्थिरता लाता है। यदि शावर या नल किसी अन्य दिशा में लगाना आवश्यक हो, तो उसे वास्तु विशेषज्ञ की सलाह से ही लगाना चाहिए।
वाश बेसिन (Wash Basin)
वाश बेसिन को उत्तर दिशा या ईशान कोण में रखना शुभ माना गया है। यह स्थान मानसिक स्पष्टता और स्वच्छता से जुड़ा है। रसोई या बाथरूम में वाश बेसिन की दिशा का ध्यान न रखने से परिवार के सदस्यों में मतभेद और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
गीजर (Geyser)
गीजर अग्नि तत्व से जुड़ा होता है, इसलिए इसे आग्नेय कोण (South-East direction) में लगाना सबसे उचित है। इस दिशा का स्वामी अग्नि देव हैं, और यह ऊर्जा व ताप का प्रतीक है। यदि गीजर को गलत दिशा में लगाया जाए, तो इससे अनावश्यक खर्चे और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
बाथ टब (Bath Tub)
नहाने के लिए उपयोग होने वाला बाथ टब भी उत्तर दिशा या ईशान कोण में होना चाहिए। इस दिशा में जल तत्व का स्थान होने के कारण नहाने से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है। यदि बाथ टब दक्षिण या पश्चिम दिशा में होगा, तो यह घर के स्वास्थ्य और सौभाग्य को प्रभावित कर सकता है।
पानी की निकासी (Water Drainage)
घर से पानी की निकासी की व्यवस्था उत्तर दिशा में होनी चाहिए। इस दिशा से पानी का बहाव धन के प्रवाह और जीवन में सहजता को दर्शाता है। दक्षिण दिशा में पानी की निकासी को वास्तु में अशुभ माना गया है क्योंकि इससे धन की हानि और अस्थिरता आती है।
पानी टपकने से बचें
वास्तु शास्त्र में यह विशेष रूप से कहा गया है कि पानी के नल और शावर का उपयोग करने के बाद उन्हें अच्छी तरह से बंद कर देना चाहिए। यदि किसी नल से लगातार पानी टपकता रहता है, तो यह धन की हानि और घर में समस्याओं का संकेत माना जाता है। धीरे-धीरे टपकता पानी न केवल बर्बादी है बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करता है।
वास्तु शास्त्र केवल दिशाओं का विज्ञान नहीं है, बल्कि यह जीवन के संतुलन और समृद्धि का मार्गदर्शन करता है। जल तत्व से जुड़ी वस्तुओं को सही दिशा में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
इसलिए, जब भी आप नया घर बनाएँ या मरम्मत करवाएँ, तो पानी से जुड़ी हर व्यवस्था — चाहे वह नल हो, वाश बेसिन, गीजर, या निकासी — वास्तु नियमों के अनुसार ही करें ताकि आपका घर शांति, सुख और समृद्धि से भरा रहे।

































