शादी में दुल्हन ही पहले वरमाला क्यों पहनाती है? जानिए इस रस्म के पीछे छिपे शुभ और आध्यात्मिक संकेत

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शादी का जिक्र आते ही हमारे दिमाग में कई खूबसूरत रस्में घूमने लगती हैं – हल्दी, मेहंदी, फेरे और वरमाला. इनमें से वरमाला की रस्म सबसे मजेदार और दिल छू लेने वाली मानी जाती है. जब दुल्हन और दुल्हा एक-दूसरे के गले में माला डालते हैं, तो वही पल शादी की शुरुआत का प्रतीक बन जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमेशा सबसे पहले दुल्हन ही क्यों पहनाती है वरमाला? ये सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा अर्थ और कई शुभ संकेत छिपे हैं, ये रस्म केवल “एक फोटो लेने वाला पल” नहीं है, बल्कि इसमें प्रेम, सम्मान और स्वीकार्यता का खूबसूरत संदेश छिपा होता है. कहा जाता है कि इस पल में दुल्हन अपने वर को दिल से स्वीकार करती है और वर अपनी सहमति जताता है. पंडितों के मुताबिक, इस रस्म का रिश्ता सीधे शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ा है. आइए जानते हैं इस रस्म के पीछे छिपे वो खास कारण, जो शादीशुदा जिंदगी में सुख-समृद्धि और आपसी समझ को मजबूत करते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

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सबसे पहले दुल्हन ही क्यों पहनाती है वरमाला?
-शादी के दिन को बहुत पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन दुल्हा-दुल्हन भगवान शिव और माता पार्वती के रूप में पूजे जाते हैं. वरमाला की रस्म भी इन्हीं की तरह पवित्र मानी जाती है. इस रस्म में दुल्हन सबसे पहले वरमाला पहनाती है क्योंकि शादी में स्त्री की सहमति सबसे अहम होती है.
-दुल्हन जब दूल्हे के गले में वरमाला डालती है, तो वह यह संकेत देती है कि “मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी स्वीकार करती हूं.” -इसके बाद जब दूल्हा वरमाला पहनाता है, तो वह कहता है कि “मैं भी तुम्हें पूरे दिल से स्वीकार करता हूं.”
-पंडितों के मुताबिक, वरमाला के पहले पड़ाव में मंगल और शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव होता है. यही वजह है कि शादी के समय यह रस्म सबसे पहले निभाई जाती है, ताकि रिश्ता प्रेम, सौभाग्य और खुशियों से

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वरमाला से जुड़ा शुभ संकेत और वैवाहिक जीवन
वरमाला का आदान-प्रदान केवल एक रस्म नहीं, बल्कि रिश्ते की नींव है.
1. जब दुल्हन पहले वरमाला पहनाती है, तो ये इस बात का प्रतीक है कि वो अपने रिश्ते में प्रेम और समझदारी की शुरुआत खुद करती है.
2. यह दर्शाता है कि किसी भी रिश्ते को अहंकार नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और अपनापन मजबूत बनाता है.
3. इस रस्म से दांपत्य जीवन में सकारात्मकता आती है और दोनों के बीच भावनात्मक जुड़ाव गहरा होता है.
4. जैसे भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने रिश्ते को प्रेम और समानता से निभाया, वैसे ही ये रस्म हर जोड़े को उसी भाव से जीना सिखाती है.

वरमाला के पीछे छिपा संदेश
दुल्हन जब वरमाला पहनाती है, तो ये सिर्फ “हाँ” कहने का तरीका नहीं, बल्कि एक वादा होता है – साथ निभाने का, समझदारी से चलने का और रिश्ते को प्राथमिकता देने का.
इस रस्म से यह संदेश मिलता है कि शादी में कोई एक बड़ा या छोटा नहीं होता, बल्कि दोनों बराबर होते हैं. वरमाला का एक-एक फूल जैसे रिश्ते के हर रंग को दर्शाता है – विश्वास, प्रेम, सम्मान और साथ.
यह एक प्रतीकात्मक तरीका है ये दिखाने का कि दुल्हन-दुल्हा अब एक नई यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं, जहां हर फैसला मिलकर लिया जाएगा और हर मुश्किल साथ में झेली जाएगी.

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वरमाला की अहमियत को समझें
कई बार लोग वरमाला को सिर्फ “मजेदार पल” मानते हैं, लेकिन यह शादी का आध्यात्मिक आरंभ है. इस पल में जो ऊर्जा और भावना होती है, वही आगे चलकर दांपत्य जीवन की दिशा तय करती है. इसलिए जब अगली बार आप किसी शादी में वरमाला का पल देखें, तो समझिए कि ये सिर्फ हंसी-मजाक नहीं, बल्कि दो आत्माओं का एक होना है.

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