नई दिल्ली। भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी शनिवार को अपने बचपन के विद्यालय सरस्वती हायर सेकेंडरी स्कूल, सतना पहुंचे। पूरे 55 वर्ष बाद अपने पुराने स्कूल लौटे जनरल द्विवेदी का छात्रों, शिक्षकों और शहर के गणमान्य नागरिकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
मंच पर पहुंचते ही वे भावुक हो उठे और कहा कि “यही वह स्थान है, जहां से मैंने जीवन में निर्णय लेने की क्षमता सीखी, जिसने आगे चलकर मुझे सेना में कई निर्णायक सफलताएं दिलाईं, जिनमें ऑपरेशन सिंदूर सबसे महत्वपूर्ण रहा।” जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि, “इस ऑपरेशन का उद्देश्य केवल दुश्मन पर विजय प्राप्त करना नहीं था, बल्कि देश की अखंडता, संप्रभुता और शांति की पुनः स्थापना करना था।
इस अभियान ने पूरे समाज को एक सूत्र में बांध दिया। जिस तरह ‘मां, बहन और बेटी’ जब भी अपने माथे पर सिंदूर लगाती हैं तो एक सैनिक को याद करती हैं, उसी भावना ने इस अभियान का नाम ‘सिंदूर’ रखा। यह अभियान हर भारतीय के मन में राष्ट्रभक्ति का सिंदूर बन गया।”
धर्म युद्ध था "आपरेशन सिंदूर"
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक धर्म युद्ध था एक ऐसा युद्ध, जिसमें नैतिकता, सिद्धांत और तकनीक का समन्वय था। “हमने किसी भी निर्दोष को नुकसान नहीं पहुंचाया, न ही नमाज या प्रार्थना के समय हमला किया। यह हमारे भारतीय संस्कारों का प्रतीक है”।
एकजुटता से ही 2047 में भारत होगी विकसित
थल सेना प्रमुख ने कहा कि जब देश के नागरिक एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे, तब ही 2047 का विकसित भारत का सपना साकार होगा। कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों, पूर्व छात्रों और समाजसेवियों की भारी उपस्थिति रही। जनरल द्विवेदी का सम्मान विद्यालय परिवार की ओर से किया गया। उनका सतना आगमन पूरे शहर के लिए गौरव का क्षण बन गया, जिसने न केवल उनके बचपन के विद्यालय को, बल्कि पूरे क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया।
55 वर्षो बाद ताजा हुई यादें
जनरल द्विवेदी ने बताया कि वर्ष 1971-72 में चौथी कक्षा में वे इसी विद्यालय में पढ़े थे। इतने वर्षों बाद लौटकर उन्होंने विद्यालय के परिसर में कदम रखते ही बचपन की यादें ताजा कर लीं। उन्होंने विद्यालय परिवार और शिक्षकों का आभार जताया, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व और राष्ट्र सेवा के संकल्प को आकार दिया।
विद्यार्थी जीवन मे रखी सफलता की नींव
छात्रों को प्रेरित करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि सफलता की नींव विद्यार्थी जीवन में ही रखी जाती है। “जो विद्यार्थी आज परिश्रम करता है, वही कल राष्ट्र निर्माण का आधार बनता है। आप चाहे वर्दी में हों या सिविल ड्रेस में, लेकिन राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र सेवा का भाव कभी कम नहीं होना चाहिए।
जनरल द्विवेदी ने सफलता का एक नया मंत्र “थी ए (THE A)” बताया —
Attitude (एटीट्यूड) से सकारात्मक दृष्टिकोण और ऊर्जा मिलती है,
Adaptability (एडॉप्टिबिलिटी) से व्यक्ति समय के साथ खुद को ढालना सीखता है,
Ability (एबिलिटी) से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।




































