पाकिस्तान में बड़ा खेल , आसिम मुनीर की CDF नियुक्ति फंसी, शहबाज शरीफ के फैसले के पीछे की कहानी क्या है?

5
News Desk
Advertisement

Pakistan Power Crisis: पाकिस्तान फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और शहबाज सरकार के बीच सबकुछ सही नहीं चल रहा है. पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवेशर ने दावा किया कि मुनीर को पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बनाए जाने की प्रक्रिया से शहबाज शरीफ ने जानबूझकर खुद को अलग रखा है. मुनीर को 29 नवंबर तक सीडीएफ बनाए जाने का आदेश जारी करना था लेकिन शहबाज सरकार ने इसको लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया. बल्कि शहबाज लंदन दौरे पर चले गए. जिसकी वजह से मुनीर की नियुक्ति पर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया.

यहां भी पढ़े:  ट्राइग्लिसराइड्स का बढ़ा स्तर भी दिल के लिए खतरनाक: विशेषज्ञ

देवेशर ने दावा किया कि शहबाज शरीफ को मुनीर के विस्तार या सीडीएफ नियुक्ति के आदेश पर हस्ताक्षर न करना पड़े, इसके लिए शहबाज पहले बहरीन और अब लंदन के लिए रवाना हो गए. ये प्रधानमंत्री की सोची-समझी साजिश है, ताकि आदेश पर हस्ताक्षर न करना पड़े. शहबाज को यह भी पता है कि इसके राजनीतिक और संस्थागत परिणाम क्या हो सकते हैं.

यहां भी पढ़े:  दिल्ली धमाके के बाद अब लखनऊ पर भी खतरे के बादल!

29 नवंबर को खत्म हुआ कार्यकाल
देवेशर के अनुसार, आसिम मुनीर का 29 नवंबर को कार्यकाल खत्म हो चुका है. इसके बाद तुरंत ही नया सेना प्रमुख बनाया जाना चाहिए या फिर जो पहले हैं, उनके कार्यकाल को बढ़ाए जाने को लेकर नोटिफिकेशन जारी करना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो टेक्निकली तौर पर पाकिस्तान के पास कोई सेना प्रमुख नहीं रहेगा. नई व्यवस्था के अनुसार, परमाणु कमान प्राधिकरण भी सीडीएफ के अधीन है. ऐसे में नियुक्ति न होना पाकिस्तान के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है.

यहां भी पढ़े:  गुजरात को मिला उपमुख्यमंत्री, हर्ष संघवी समेत 25 मंत्री शामिल

सेना प्रमुख का 5 साल का कार्यकाल
पाकिस्तान में 2024 में हुए आर्मी एक्ट संसोधन के अनुसार, सेना प्रमुख का कार्यकाल 5 सालों का होता है, इसके लिए नए आदेश की कोई जरूरत नहीं होती. वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि सीडीएफ जैसे नए पद के लिए आधिकारिक रूप से नोटिफिशेकन जरूरी है. फिलहाल, पाकिस्तान में शहबाज शरीफ की अनुपस्थिति न केवल राजनीतिक हलचल को बढ़ाया है बल्कि कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं.

Advertisement