मेरठ: बुर्का पहनने पर कॉलेज में एंट्री नहीं, ज्वेलरी स्टॉल लगाने आईं छात्राओं को रोका

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मेरठ जनपद के बुढ़ाना गेट स्थित इस्माइल नेशनल महिला डिग्री कॉलेज में बुर्का पहनकर पहुंची दो युवतियों को कॉलेज प्रशासन ने एंट्री नहीं दी। ये युवतियां कॉलेज में लगे ‘सद्भावना मेला’ में ज्वेलरी का स्टॉल लगाने आई थीं। बुर्का पहने होने के कारण कॉलेज स्टाफ और युवतियों के बीच जमकर बहस हुई, जिसके बाद युवतियां बिना स्टॉल लगाए ही वापस लौट गईं।

सुरक्षा का हवाला देकर रोका गया:

शाहपीर गेट निवासी मुनीरा और आयशा शुक्रवार को कॉलेज में दिवाली प्रदर्शनी (जो पिछले 30 सालों से लगती है) में स्टॉल लगाने पहुंची थीं। गेट पर तैनात महिला कर्मचारी सुशीला ने उन्हें रोक दिया।

युवतियों ने इसे ‘धार्मिक भेदभाव’ बताते हुए विरोध जताया और कहा कि वे कॉलेज की छात्राएं नहीं हैं और स्टॉल लगाने आई थीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया। युवतियों के माता-पिता के पहुंचने के बाद भी कॉलेज प्रशासन ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया।

कॉलेज प्रशासन का पक्ष:

कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर दीप्ति कौशिक ने इसे सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह कॉलेज का आंतरिक नियम है और इसका पालन करना अनिवार्य है।

दीप्ति कौशिक ने स्पष्ट किया:

“युवतियों को सुरक्षा कारणों से रोका गया था, न कि धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के लिए।”

कॉलेज में चेंजिंग रूम की व्यवस्था है, जहां कोई भी बुर्का बदलकर अंदर जा सकता है।

यह नियम कॉलेज की छात्राओं पर भी लागू होता है।

सद्भावना मेला में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों की लड़कियों ने स्टॉल लगाए हैं, और किसी से कोई भेदभाव नहीं है।

कपड़े बदलने से मना करने पर मुनीरा और आयशा अपना सामान लेकर वापस चली गईं। इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक परिधान पहनने के अधिकार और संस्थान के नियमों के बीच की बहस को ताजा कर दिया है।

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