नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा का विधान है। पंचमी तिथि (27 सितंबर 2025) को मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। इन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कंद कुमार) की माता माना जाता है।
संतान सुख से जुड़ी मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां स्कंदमाता की भक्ति करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। विशेषकर वे दंपति जिन्हें संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है, उन्हें इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा और व्रत करना चाहिए। मां के आशीर्वाद से निसंतान दंपति की गोद भर जाती है।
पूजा विधि और विशेष उपाय
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि यदि संतान सुख में रुकावट आ रही है, तो पंचमी तिथि पर लौंग और कपूर में अनार के दाने मिलाकर मां दुर्गा को आहुति दें। आहुति से पूर्व सामग्री पर पांच माला बाधा निवारण मंत्र का जाप करना आवश्यक है।
कुंडली का पंचम भाव और संतान सुख
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली का पंचम भाव संतान प्राप्ति और उससे जुड़े सुख का कारक होता है। इस भाव में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए मां स्कंदमाता की पूजा फलदायी मानी गई है। उनकी उपासना से संतान प्राप्ति के योग प्रबल होने लगते हैं।