17 साल बाद देश लौटकर बीएनपी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान फिर बांग्लादेश के वोटर बन गए | शनिवार को उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया गया और उन्होंने नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NID) के लिए रजिस्टर भी करा लिया है | इस बार बांग्लादेश का चुनाव लड़ने में उनका कोई रुकावट नहीं है | तारिक रहमान अपनी पुश्तैनी सीट बोगरा सदर (बोगरा-6) चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. लोकल नेताओं ने उनकी तरफ से नॉमिनेशन पेपर पहले ही ले लिए हैं. बांग्लादेश में 12 फरवरी को जातीय संसद के लिए चुनाव है |
तारिक रहमान लंदन से लौटने के दो दिन बाद शनिवार सुबह ढाका यूनिवर्सिटी इलाके में शहीद उस्मान हादी की कब्र पर जाने के बाद वे अगरगांव गए | वहां उन्होंने इलेक्शन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में वोटर के तौर पर रजिस्टर करने और नेशनल आइडेंटिटी कार्ड पाने का काम पूरा किया | तारिक रहमान ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह 27 दिसंबर को वोटर बनने के लिए जरूरी काम करेंगे. इलेक्शन कमीशन ने भी उसी हिसाब से तैयारी कर ली थी |
तारिक रहमान ने बनवाया अपना वोटर कार्ड
बांग्लादेश आउटलेट प्रथम आलो के अनुसार तारिक रहमान शनिवार दोपहर करीब 1 बजे ढ़ाका के अगरगांव में इलेक्शन बिल्डिंग के पीछे इलेक्टोरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बिल्डिंग गए. बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरे में बाहर से आए लोगों और खास लोगों को NID से जुड़ी सर्विस दी जाती हैं |
तारिक रहमान उस कमरे में फोटो खिंचवाने, दस फिंगरप्रिंट देने, अपनी आइरिस स्कैन करवाने और साइन करने गए. उस समय बांग्लादेश इलेक्शन कमीशन के सेक्रेटरी अख्तर अहमद मौजूद थे |
इससे पहले सुबह NID विंग के डायरेक्टर जनरल (DG) ASM हुमायूं कबीर ने मीडिया बताया कि वोटर बनने के लिए, व्यक्ति की फोटो, आईरिस और फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं. इन्हें EC डेटाबेस में अपलोड किया जाता है. डेटा सेंटर में वोटर्स की जानकारी के साथ इनका क्रॉस-मैच किया जाता है. फिर एक नंबर जेनरेट होता है. यह सॉफ्टवेयर में किया जाता है |
इलेक्शन कमीशन ने आने वाले 13वें पार्लियामेंट्री इलेक्शन के लिए वोटर लिस्ट पहले ही फाइनल कर दी है | हालांकि, वोटर लिस्ट एक्ट कहता है कि चुनाव आयोग किसी भी समय वोटर बनने के लायक किसी भी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर सकता है |
2008 में बांग्लादेश छोड़कर चले गए थे तारिक रहमान
बांग्लादेश में पहली फोटो वाली वोटर लिस्ट 1998 के बाद केयरटेकर सरकार के दौरान 2008 में तैयार की गई थी. बीएनपी चेयरपर्सन खालिदा जिया के सबसे बड़े बेटे तारिक रहमान 11 सितंबर, 2008 को जेल से रिहा होकर बांग्लादेश से लंदन चले गए थे. क्योंकि वे विदेश में थे, इसलिए उस समय उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं था. बाद में अवामी लीग के राज में वे देश वापस नहीं आए, न ही वे वोटर बने |
पिछले साल जुलाई में छात्र विद्रोह के बाद शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ था | उसके बाद देश में पहली बार चुनाव होंगे और चुनाव लड़ने के लिए वोटर बनना जरूरी थी, जिसकी प्रक्रिया तारिक रहमान ने पूरी कर ली |
































