महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे भाइयों की एंट्री से हलचल, संजय निरुपम बोले- अब MVA नहीं TVA है नया गठबंधन

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महाराष्ट्र की सियासत में 5 जुलाई 2025 का दिन एक नए मोड़ के तौर पर याद किया जा रहा है। करीब 20 साल बाद शिवसेना के दो बड़े चेहरे- राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर एक साथ नजर आए। ‘मराठी विजय रैली’ के मंच से दोनों नेताओं ने एकता का संदेश दिया, तो वहीं सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इस मुलाकात के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने समीकरण साधने में जुट गए हैं।
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इसी बीच शिंदे गुट की शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने इस राजनीतिक समीकरण पर तंज कसते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा- “MVA से TVA की ओर… अब यह गठबंधन महा विकास अघाड़ी नहीं बल्कि ठाकरे विकास अघाड़ी बन गया है।” उनका इशारा साफ तौर पर कांग्रेस की घटती भूमिका और ठाकरे भाइयों की बढ़ती नजदीकी की तरफ था।

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एक मंच पर राज और उद्धव, बदले सियासी संकेत

शनिवार को हुई ‘मराठी विजय रैली’ उस वक्त सियासी चर्चा का केंद्र बन गई जब मंच पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ नजर आए। दोनों नेताओं ने लंबे समय बाद किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में संयुक्त रूप से भाग लिया। इस दृश्य ने यह संकेत भी दे दिया कि महाराष्ट्र में अब ठाकरे परिवार एकजुट हो सकता है- और शायद आने वाले विधानसभा चुनावों में साझा मोर्चा भी बना सकता है।

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उद्धव ठाकरे का तीखा हमला- “हमें हिंदू मंजूर है, हिंदी नहीं”

रैली के दौरान उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा- “हमें हिंदू और हिंदुस्तान मंजूर है, लेकिन हिंदी नहीं। मुंबई हमारी है, इसे हमने संघर्ष से पाया है। हम पर जबरन हिंदी थोपने की कोशिश न की जाए, सात पीढ़ियां गुजर जाएंगी, लेकिन हम मराठी अस्मिता से समझौता नहीं करेंगे।”

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आने वाले चुनावों में बदल सकते हैं समीकरण

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज और उद्धव ठाकरे का एक मंच पर आना आने वाले चुनावों में बीजेपी और शिंदे गुट की मुश्किलें बढ़ा सकता है। यदि ठाकरे बंधु एकजुट होकर मराठी वोट बैंक को साधते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।

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