उत्तर प्रदेश पुलिस ने अब ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़े सामान्य विवादों को लेकर एक अहम कदम उठाया है। डीजीपी मुख्यालय से जारी नई गाइडलाइन के मुताबिक, घटिया प्रोडक्ट, गलत ऑर्डर या साइज की शिकायत जैसे मामलों में अब पुलिस सीधे एफआईआर दर्ज नहीं करेगी। डीजीपी के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इस तरह की शिकायतें क्रिमिनल नहीं बल्कि सिविल नेचर की होती हैं, इसलिए इन्हें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत निपटाया जाएगा।
आदेश में कहा गया ये
पुलिस के मुताबिक, बीते कुछ महीनों में साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स—जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट और मिंत्रा—से जुड़ी शिकायतों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। अधिकांश मामलों में ग्राहकों को उत्पाद न मिलने, घटिया क्वालिटी या गलत डिलीवरी की शिकायतें थीं। इससे पुलिस थानों पर अनावश्यक बोझ बढ़ रहा था।
नई व्यवस्था के अनुसार, ऐसे मामलों में ग्राहक को पहले कंपनी की ऑफिशियल शिकायत प्रणाली या उपभोक्ता फोरम में संपर्क करना होगा। यदि 30 दिनों के भीतर समाधान नहीं मिलता और फोरम कंपनी के खिलाफ आदेश देता है, तभी पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।
इन मामलों को रखा जाएगा अलग
हालांकि, साइबर ठगी और वित्तीय नुकसान से जुड़े मामलों को इससे अलग रखा गया है। यदि किसी व्यक्ति के खाते से पैसे कटे हैं या धोखाधड़ी से नुकसान हुआ है, तो पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज करेगी। वहीं केवल ठगी के प्रयास या संदिग्ध गतिविधि होने पर, पुलिस संबंधित अकाउंट और नंबर को ब्लॉक करवाएगी और साइबर सेल को सतर्क करेगी। डीजीपी का यह निर्देश पुलिस व्यवस्था पर बढ़ते दबाव को कम करने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को सही माध्यम से न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

































