रिपोर्ट:हेमन्त कुमार दुबे।
महराजगंज। जनपद के किसानों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा की किसान हितकारी पहल रंग लाई है, जिससे अब पराली को नष्ट करने की मजबूरी खत्म होगी और उसके बदले किसानों को गोबर की खाद मिल सकेगी।
*पराली बनी खाद का जरिया।*
एक समय था जब किसान एक ट्रॉली गोबर खाद के लिए परेशान रहते थे, लेकिन अब जिलाधिकारी की अपील पर किसानों ने गौशालाओं में 72 टन पराली पहुंचाकर एक मिसाल कायम की है। यह पहल पराली जलाने की सदियों पुरानी समस्या का एक स्थायी और टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करती है।
*रबी की फसल को दोहरा लाभ।*
इस पहल से किसानों को दोहरा लाभ होने की उम्मीद है:
* उत्पादन में वृद्धि: पराली से बनी गोबर की खाद मिलने से गेहूं, मसूर, मटर और सरसों जैसी रबी की फसलों का उत्पादन बढ़ने की संभावना है।
* लागत में कमी: प्राकृतिक खाद के उपयोग से रबी की खेती में फास्फेटिक खादों की लागत काफी हद तक कम हो जाएगी।
*पर्यावरण संरक्षण में योगदान।*
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनपद में इस खरीफ सीजन में 1.80 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी। एक अनुमान के तौर पर प्रति हेक्टेयर 550 से 600 टन पराली का उत्पादन होता है। जब यह रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन रबी की खेती के लिए रोड़ा बनने लगा और किसान इसे जलाने लगे, तब प्रदूषण बढ़ने लगा और खेतों के मित्र व शत्रु कीटों का जीवन खतरे में आ गया।
*डीएम ने खुद संभाला मोर्चा।*
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने स्वयं गांवों में पहुंच कर किसानों को पराली न जलाने और उसे गौशालाओं में पहुंचाने के फायदे समझाए। उनकी इस सूझबूझ भरी पहल के कारण ही 72 टन पराली का सुरक्षित संग्रहण संभव हो पाया है।जिलाधिकारी की यह पहल पूरे महराजगंज के ग्रामीण क्षेत्रों में चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

































