शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन महाअष्टमी कहलाता है। इस बार यह तिथि 30 सितंबर को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा विशेष फलदायी होती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि उनकी आराधना से नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में समृद्धि, शांति व सौभाग्य का संचार होता है।
महाअष्टमी का महत्व
मां महागौरी को शांति, करुणा और पवित्रता की देवी माना जाता है। भक्त मानते हैं कि अष्टमी के दिन उनका पूजन करने से मानसिक संतुलन, स्वास्थ्य लाभ और इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस दिन की साधना सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाली मानी जाती है।
पूजन विधि
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें।
उन्हें सफेद पुष्प, रोली, कुमकुम और सुगंधित धूप अर्पित करें।
प्रसाद में मिठाई, फल, नारियल और पंचमेवा अर्पित करें।
कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लें।
अंत में मंत्रजाप और आरती से पूजा पूर्ण करें।
शुभ मुहूर्त और विशेष उपाय
इस दिन गुलाबी अथवा सफेद वस्त्र धारण करना शुभ होता है। नारियल और पंचमेवा का भोग लगाने से परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। साथ ही कन्या पूजन करने से घर में लक्ष्मी और समृद्धि का वास माना जाता है।
अष्टमी का विशेष मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया,
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल तेरा धाम,
सच्चे मन से जो ले तेरा नाम॥
ममता अंबे, शक्ति स्वरूपा,
तेरी महिमा जग में अनूपा॥
शरण में जो भी भक्त आए,
मां उसके संकट दूर कराए॥
कन्या पूजन का महत्व
अष्टमी पर कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से परिवार में खुशहाली आती है, विवाह में आने वाली अड़चनें समाप्त होती हैं और घर में शांति का वातावरण स्थापित होता है।