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खाड़ी की राजनीति में भूचाल, UAE और सऊदी की लड़ाई में इजराइल को फायदा?

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News Desk

मिडिल ईस्ट और हॉर्न ऑफ अफ्रीका की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी दिख रही है. 26 दिसंबर 2025 को इजराइल ने सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी. इसके बाद अब चर्चा है कि इजराइल और उसके सहयोगी देश दक्षिण यमन को भी देश के तौर पर मान्यता दे सकते हैं | यमन को लेकर सऊदी अरब और यूएई के हित आपस में टकरा रहे हैं. इस हालात से इजराइल को रणनीतिक फायदा मिलता दिख रहा है |

दक्षिण यमन की मांग क्यों हो रही?

दक्षिण यमन पहले एक अलग देश रह चुका है और उसकी सीमाएं साफ तौर पर तय हैं. यहां की राजनीतिक संस्कृति उत्तर यमन की तुलना में ज्यादा उदार मानी जाती है. सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) ने यहां एक काम करने वाला प्रशासन खड़ा किया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मान्यता न मिलने से उसकी स्थिति कमजोर बनी हुई है |

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STC की स्थापना साल 2017 में हुई थी. इस संगठन का नेतृत्व एदरस अल-जोबैदी करते हैं. इसका मुख्यालय यमन के दक्षिणी शहर अदन में है. STC खुद को दक्षिण यमन की आवाज बताता है और उसका मकसद है यमन को दो हिस्सों में बांटना और एक अलग दक्षिणी देश बनाना | इसके समर्थक लगातार दक्षिण यमन का पुराना झंडा लहराते हैं और खुले तौर पर अलग मुल्क की मांग करते हैं |

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दक्षिण यमन से इजराइल को क्या फायदा?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दक्षिण यमन को मान्यता मिलती है, तो ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों और मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों का असर कम होगा | साथ ही रेड सी और अरब सागर के अहम समुद्री रास्तों पर नियंत्रण मजबूत किया जा सकेगा | यूएई और सऊदी के बीच यमन को लेकर चल रही खींचतान में इजराइल इस स्थिति का फायदा उठा सकता है | इसी वजह से सवाल उठ रहा है कि क्या खाड़ी क्षेत्र में एक नया देश बनने की राह तैयार हो रही है |

किसी देश को मान्यता कैसे दी जाती है?

किसी देश को मान्यता देने का मतलब होता है यह स्वीकार करना कि वह एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है. आमतौर पर मान्यता दो तरीकों से दी जाती है. पहला तरीका औपचारिक होता है, जिसमें कोई देश आधिकारिक घोषणा करता है. यह घोषणा राष्ट्रपति या विदेश मंत्री के बयान, प्रेस कॉन्फ्रेंस, सरकारी नोटिफिकेशन या संसद में प्रस्ताव के जरिए की जाती है |

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इसके बाद दूतावास खोलना, राजदूत नियुक्त करना और द्विपक्षीय संधियां करना मान्यता को मजबूत करता है. दूसरा तरीका व्यवहारिक होता है. इसमें बिना औपचारिक घोषणा के भी किसी इकाई को देश की तरह माना जाता है, जैसे उच्च स्तरीय बातचीत करना, आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भेजना, लंबे समझौते करना या उसके पासपोर्ट को स्वीकार करना |

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