बालाघाट। दीपों के पर्व दीपावली के पावन अवसर पर रविवार की शाम बालाघाट (मध्य प्रदेश ) का साहित्यिक वातावरण सुरभि और सरसता से सराबोर हो उठा, जब सहमत संस्था ने अपना वार्षिक दीपावली मिलन समारोह ‘काव्य माधुरी’ बड़े हर्ष और उल्लास के साथ आयोजित किया। यह आयोजन स्थानीय पुत्री शाला परिसर, जयहिंद टाकीज के सामने हुआ, जहाँ जिले के साहित्य, संस्कृति और समाज से जुड़े दिग्गज व्यक्तित्वों की गरिमामयी उपस्थिति में कविताओं की बरसात सी हो गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला संघ चालक वैभव कश्यप, अध्यक्षता पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रमेश रंगलानी ने की। विशिष्ट अतिथियों में शिक्षाविद एवं राष्ट्रीय विचार मंच की संयोजक लता एलकर, मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्य मौसम बिसेन, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष भारती ठाकुर, सहमत के संरक्षक राजेश पाठक, वक्ता सुरजीत सिंह ठाकुर, सुरेश बाघरेचा, डॉ. रामकुमार रामारिया, विश्व हिंदू परिषद जिलाध्यक्ष यज्ञेश चावड़ा, व्यापारी संघ उपाध्यक्ष महेंद्र सुराना, हिंदी साहित्य भारती अध्यक्ष अशोक सागर मिश्र सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन मीना चावड़ा, सह संयोजन अलका चौधरी और समन्वय शैलेन्द्र रोकड़े ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और मां सरस्वती की वंदना से हुई, जिसके बाद वातावरण में एक साथ उत्सव, भक्ति और काव्य का समन्वय दिखाई दिया। मुख्य वक्ता वैभव कश्यप ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में दीपावली जैसे सनातन उत्सवों की सामाजिक समरसता, आर्थिक महत्व और सांस्कृतिक एकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के त्योहार केवल परंपरा नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाले सूत्र हैं। उन्होंने कहा कि दीपावली का वास्तविक अर्थ केवल घरों को नहीं, बल्कि हृदयों को प्रकाशित करना है।
वहीं, वक्ता सुरजीत सिंह ठाकुर ने योग और आध्यात्मिकता पर सारगर्भित विचार रखते हुए कहा कि संयमित जीवन शैली अपनाने से व्यक्ति हर कठिनाई पर विजय पा सकता है। उन्होंने कहा कि “योग केवल शरीर नहीं, आत्मा का अनुशासन है”। उनके विचारों ने उपस्थित जनों को गहराई से प्रभावित किया।
कार्यक्रम का एक विशेष आकर्षण रही बाल कलाकार कु. नीर्वी हरिनखेड़े की प्रस्तुति, जिसने अपनी ‘अंतरप्रेरणा विधा’ से सभी को अचंभित कर दिया। उन्होंने आँखों पर पट्टी बाँधकर नोटों और ड्राइविंग लाइसेंस के नंबर, रंगों और वस्तुओं की पहचान बताई। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया।
इस अवसर पर मंच पर साहित्यिक अभिव्यक्ति की झड़ी लग गई। नगर पालिका अध्यक्ष भारती ठाकुर ने अपने मधुर कंठ से कविता पाठ कर श्रोताओं का मन मोह लिया। उनकी रचना में भावनाओं की गहराई और सहज अभिव्यक्ति का सुंदर संगम झलका। इसके बाद डॉ. रामकुमार रामारिया, अशोक सागर मिश्र, साहेबलाल दशरिये ‘सरल’, अलका चौधरी ‘अनमोल’, डॉ. सतीश चिले, तुमेश पटले, अर्चना गुप्ता, मीना चावड़ा, प्रेमलता गुप्ता, अजय गुप्ता, ब्रजेश हजारी, डॉ. प्रिया शर्मा (वारासिवनी), और सरिता सिंघई ने अपनी-अपनी कविताओं से सभागार में शब्दों की अनुगूंज भर दी।
कार्यक्रम का संचालन सुश्री अलका चौधरी ने अत्यंत प्रभावशाली शैली में किया। उनकी मंच संचालन शैली ने कवि और श्रोता के बीच एक आत्मीय पुल का निर्माण किया।
सहमत संस्था के जनसंचार संयोजक हेमेंद्र क्षीरसागर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इनमें लोधेश्वर उत्कर्ष जन चेतना संगठन अध्यक्ष भुवन लिल्हारे, आलोक संघ राष्ट्रीय पदाधिकारी सी. डी. नगपुरे, श्रीराम बोहने, जिला कायस्थ संघ अध्यक्ष राजेश वर्मा, नितेंद्र श्रीवास्तव, सुभाषचंद्र नगपुरे, रामसिंह लिल्हारे, सोहन उरोड़े सहित कई विशिष्ट हस्तियाँ शामिल थीं।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सहमत के संरक्षक राजेश पाठक ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में सनातनी परंपराओं के संरक्षण और उत्सवों की सामाजिक भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “हमारे उत्सव केवल आनंद का माध्यम नहीं, बल्कि यह हमारी सभ्यता के जीवंत प्रतीक हैं जो पीढ़ियों को संस्कार और समरसता का संदेश देते हैं।”
उन्होंने सहमत संस्था के सक्रिय सदस्यों, कवियों, अतिथियों और श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल रचनात्मकता को मंच देते हैं, बल्कि सामाजिक एकजुटता को भी सशक्त बनाते हैं।
‘काव्य माधुरी’ सचमुच बालाघाट की साहित्यिक आत्मा का उत्सव साबित हुआ — जहाँ कविताओं ने दीपों की तरह उजाला फैलाया और संस्कृति ने शब्दों का रूप धर लिया। दीपों की जगमगाहट और कविताओं की गूंज के बीच समापन हुआ यह आयोजन लंबे समय तक स्मरणीय रहेगा, जिसने यह संदेश दिया कि साहित्य और संस्कृति ही वह शक्ति हैं जो समाज को प्रकाश और प्रेरणा दोनों प्रदान करती हैं।

































