मुंबई. मुंबई के मीरा रोड स्थित प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था “चित्रांश महापरिवार” ने भारतीय संस्कृति के महापर्व दीपावली के शुभ अवसर पर अपने गौरवशाली इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा. गुरुवार को मीरा रोड (पूर्व) स्थित सुरभि जिमखाना परिसर में संस्था के अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन, श्री चित्रगुप्त पूजनोत्सव के रजत जयंती समारोह, का भव्य समापन हुआ. यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक था, बल्कि समाज की एकता, सांस्कृतिक परम्परा और शिक्षा के प्रति गहरे समर्पण को भी प्रदर्शित करता दिखा. रजत जयंती का यह समारोह चित्रांश महापरिवार के पिछले पच्चीस वर्षों के अथक प्रयासों और सामाजिक सरोकारों की सफल गाथा को दर्शाता है, जिसे बड़ी ही गरिमा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न किया गया.
इस समारोह में चित्रांश समाज के लगभग तीन सौ सदस्यों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिन्होंने एकजुट होकर भगवान चित्रगुप्त की आराधना की. यह विशाल उपस्थिति समाज के सदस्यों की अपनी जड़ों और परम्परा के प्रति गहरी आस्था और जिम्मेदारी की भावना को परिलक्षित करती है. पूजा का यह पर्व चित्रांश समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की धुरी माना जाता है, और इस वर्ष रजत जयंती के रूप में इसे मनाए जाने से उत्साह और श्रद्धा का माहौल चरम पर था.
चित्रांश महापरिवार के वरिष्ठ प्रतिनिधि राजेश कुमार सिन्हा ने इस भव्य आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि रजत जयंती समारोह का शुभारंभ अत्यंत पवित्रता के साथ वैदिक मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से किया गया. समूचा जिमखाना परिसर पारंपरिक परिधानों में सजे समाज के सदस्यों की उपस्थिति से आलोकित हो उठा था. पारंपरिकता और आधुनिकता के अद्भुत मिश्रण को दर्शाते हुए, भव्य रूप से सुसज्जित मंच पर समाज के बच्चों और युवाओं ने एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी. इन प्रस्तुतियों में भक्ति और सांस्कृतिक विविधता का एक अद्भुत संगम देखने को मिला. छोटे बच्चों के नृत्य से लेकर युवाओं द्वारा प्रस्तुत नाटिकाओं तक, हर प्रस्तुति ने भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत और कायस्थ समाज की कलात्मक प्रकृति को उजागर किया. सदस्यों द्वारा प्रस्तुत एकल और समूह गीतों की मधुरता ने उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया और भक्तिमय वातावरण को और गहरा कर दिया.
समारोह का एक विशिष्ट और प्रेरणादायक हिस्सा चित्रांश समाज की उभरती प्रतिभाओं को सम्मानित करने का रहा. संस्था ने इस अवसर पर दसवीं और बारहवीं कक्षा में नब्बे प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया. राजेश कुमार सिन्हा ने रेखांकित किया कि यह पहल चित्रांश समाज में शिक्षा के बढ़ते हुए महत्व को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है. उनका मानना था कि यह सम्मान नई पीढ़ी को उत्कृष्टता हासिल करने और अपने अकादमिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा. यह सम्मान समारोह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि चित्रांश महापरिवार धार्मिक परम्परा के साथ-साथ समाज के बौद्धिक विकास के प्रति भी पूरी तरह सजग और समर्पित है. सम्मान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के चेहरे पर भविष्य के प्रति आत्मविश्वास और गर्व की भावना साफ झलक रही थी, जो समाज के लिए एक उज्ज्वल संकेत था.
आयोजन के दौरान विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका सम्मान किया गया, जबकि कोर समिति के सदस्यों को उनके अथक परिश्रम और समर्पण के लिए अंगवस्त्र प्रदान कर उनके योगदान को सराहा गया. इस पूरे समारोह का विशेष आकर्षण संस्था के मुख्य संरक्षक अशोक सिन्हा की गरिमामयी उपस्थिति रही. उनकी उपस्थिति ने न केवल समारोह को एक नई ऊँचाई दी, बल्कि उनके द्वारा किए गए एक विशेष कार्य ने समाज में सेवा और भावनात्मक समर्पण की भावना को और सशक्त बनाया. अशोक सिन्हा ने चित्रांश महापरिवार की छठ पूजा करने वाली सभी महिलाओं को श्रद्धास्वरूप एक सुंदर साड़ी और पूजन सामग्री भेंट कर उनके भावनात्मक समर्पण और त्याग को सम्मानित किया. उनका यह योगदान दर्शाता है कि संस्था धार्मिक अनुष्ठानों के साथ जुड़े सामाजिक दायित्वों के प्रति भी कितनी संवेदनशील है.
समारोह को सुव्यवस्थित और यादगार बनाने में संस्था की कोर समिति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही. संस्था के अध्यक्ष बी. आर. सिन्हा और सचिव अजीत वर्मा के नेतृत्व में कोर समिति के सभी सदस्यों के संयुक्त प्रयासों, सामंजस्य और समर्पण की भावना ने पूरे आयोजन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. आयोजन की व्यवस्था इतनी सुचारु थी कि कहीं भी किसी प्रकार की अव्यवस्था देखने को नहीं मिली, जिसने चित्रांश महापरिवार की सांगठनिक क्षमता को प्रमाणित किया.
इस रजत जयंती समारोह का एक और विशेष और संग्रहणीय आकर्षण था स्मारिका का प्रकाशन. इस सुंदर स्मारिका का संपादन वरिष्ठ साहित्यकार राजेश कुमार सिन्हा ने किया, जिसमें अजीत वर्मा का प्रमुख सहयोग रहा. यह स्मारिका मात्र एक प्रकाशन नहीं है, बल्कि इसमें संस्था की गतिविधियों, समाज के प्रबुद्ध विचारों, सांस्कृतिक मूल्यों और अतीत के पच्चीस वर्षों की यात्रा का सारगर्भित संकलन किया गया है. यह दस्तावेज भविष्य में समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत का कार्य करेगा और नई पीढ़ियों को संस्था के लक्ष्यों और मूल्यों से परिचित कराएगा.
पूरे समारोह में श्रद्धा, समर्पण, और समाज के प्रति एकता की भावना स्पष्ट रूप से झलकती रही, जिसने उपस्थित सभी सदस्यों को भाव-विभोर कर दिया. सदस्यों ने ईश्वर से यह सामूहिक प्रार्थना की कि चित्रांश समाज सदैव संगठित, सशक्त और प्रगतिशील बना रहे तथा भगवान चित्रगुप्त जी का आशीर्वाद सदा उन सभी पर बना रहे. इस सफल रजत जयंती आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि चित्रांश महापरिवार न केवल एक संस्था है, बल्कि यह कायस्थ समाज की सांस्कृतिक धरोहर और सामूहिक चेतना का एक जीवंत केंद्र है, जो आने वाले वर्षों में भी इसी ऊर्जा और उत्साह के साथ समाज को संगठित करने का कार्य जारी रखेगा.

































