
उन्होंने कहा, “आवश्यक वस्तुओं और दैनिक ज़रूरतों पर कर की दरें एक सरलीकृत ढाँचे के तहत कम की जाएँगी। इससे काफ़ी राहत और सुविधा मिलेगी। हमारे एमएसएमई और छोटे उद्योगों को भी इन बदलावों से बहुत लाभ होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये सुधार आवश्यक वस्तुओं और दैनिक जरूरतों पर सीधा प्रभाव डालेंगे, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों पर कर का बोझ कम करना है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकार उपभोग को बढ़ावा देने तथा व्यापार में सुगमता बढ़ाने पर विचार कर रही है, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए, जो अनुपालन और कर संबंधी मुद्दों में राहत की मांग कर रहे हैं।
जीएसटी के कार्यान्वयन ने अप्रत्यक्ष करों की जटिल व्यवस्था को एक एकीकृत प्रणाली में बदल दिया। इसने कर अनुपालन को आसान बनाया, व्यवसायों की लागत कम की और राज्यों के बीच वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही को संभव बनाया। पारदर्शिता और दक्षता में सुधार करके, जीएसटी ने एक मज़बूत और अधिक एकीकृत अर्थव्यवस्था की नींव रखने में मदद की।
1 जुलाई 2025 को, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 2017 में लागू हुए आठ वर्ष पूरे हो जाएंगे। भारत में जीएसटी दरें जीएसटी परिषद द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जिसमें संघ और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
वर्तमान जीएसटी संरचना में चार मुख्य दर स्लैब हैं: 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देश भर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं।

































