हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ये नई खोज किसानों की आमदनी बढ़ाने, देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत करने और स्वास्थ्य के लिए बेहतर सरसों तेल उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो आने वाले समय में सरसों की खेती और अधिक लाभदायक होगी।
हरियाणा के किसानों के लिए खुशखबरी है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार के वैज्ञानिकों ने सरसों (Mustard) की दो नई किस्में विकसित की हैं। इसमें आरएच 1424 (RH 1424) और आरएच 1706 (RH 1706) शामिल हैं। ये नई किस्में सिर्फ हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होंगी।
इस शोध को विश्वविद्यालय के तिलहन (Oilseed) वैज्ञानिकों की एक टीम ने किया है, जिसमें डॉ. राम अवतार, आर.के. श्योराण, नीरज कुमार, मनजीत सिंह, विवेक कुमार और अशोक कुमार सहित अन्य वैज्ञानिक शामिल थे। इनकी मेहनत का नतीजा है ये उच्च उपज देने वाली और गुणवत्ता वाली सरसों की नई किस्में।
नई किस्मों की खासियत
- आरएच 1424 (RH 1424)
- यह किस्म बारानी (Rainfed/पानी की कमी वाले) क्षेत्रों के लिए बनाई गई है।
- औसत उपज: 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- पकने में समय: 139 दिन
- बीज में तेल की मात्रा: 40.5%
- आरएच 725 की तुलना में 14% अधिक उपज
- आरएच 1706 ह(RH 1706)
- कम एरुसिक एसिड (स<2%) वाली किस्म, जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर तेल देती है।
- औसत उपज: 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- पकने में समय: 140 दिन
- बीज में तेल की मात्रा: 38%
- कम सिंचाई में भी अच्छी उपज
- अक्टूबर के मध्य तक बोई जा सकती है।
- किसानों को लाभ
- उत्पादकता (Productivity) में वृद्धि।
- तेल की गुणवत्ता (Oil Quality) में सुधार।
- स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सरसों तेल (Mustard Oil)।
हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों के किसान सीधे फायदा उठाएंगे।
शोध की खासियत
अब तक कुल 21 किस्में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा चुकी हैं। हरियाणा लंबे समय से देश में सबसे अधिक सरसों उत्पादक राज्य है। इस सफलता का श्रेय वैज्ञानिकों की मेहनत और किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों के अपनाने को जाता है।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज का कहना है कि ये किस्में सरसों उत्पादक राज्यों के लिए “मील का पत्थर” साबित होंगी। अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि नई किस्में न केवल ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि कम समय में पकती हैं और बेहतर तेल देती हैं।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ये नई खोज किसानों की आमदनी बढ़ाने, देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत करने और स्वास्थ्य के लिए बेहतर सरसों तेल उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो आने वाले समय में सरसों की खेती और अधिक लाभदायक होगी।