पटना. बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विपक्षी महागठबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए आरजेडी और कांग्रेस पर “राजनीतिक गुंडागर्दी” करने का आरोप लगाया. आरा में आयोजित एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि आरजेडी ने कांग्रेस की “कनपटी पर कट्टा रखकर” मुख्यमंत्री पद अपने हाथ में ले लिया. मोदी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि उन्होंने इस कथन के जरिए आरजेडी-कांग्रेस के बीच चल रही अंदरूनी खींचतान को सार्वजनिक रूप से उजागर कर दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने नहीं चाहा था कि आरजेडी नेता को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा बनाया जाए, लेकिन बंद कमरों में चली ‘गुंडागर्दी’ के खेल ने पार्टी को मजबूर कर दिया. मोदी ने कहा, “आरजेडी ने कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर मुख्यमंत्री पद छीन लिया. चुनाव से कुछ दिन पहले बंद कमरे में सत्ता का खेल खेला गया. कांग्रेस नहीं चाहती थी कि आरजेडी नेता को सीएम चेहरा बनाया जाए, लेकिन उसे मजबूरन यह घोषणा करनी पड़ी.”
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि यह सब उस समय हुआ जब नामांकन वापसी की आखिरी तारीख से एक दिन पहले विपक्षी खेमे में उथल-पुथल मची हुई थी. “मैं आपको अंदर की बात बता रहा हूं,” मोदी ने कहा, “एक दिन पहले बंद कमरे में गुंडागर्दी का खेल चला. कांग्रेस को मजबूर किया गया कि वह आरजेडी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे. कांग्रेस चाहकर भी विरोध नहीं कर सकी.”
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सीधे तौर पर तेजस्वी यादव का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट था कि उनका इशारा उन्हीं की ओर था. उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा कि कांग्रेस और आरजेडी के बीच इतनी खींचतान है कि “चुनाव के बाद ये एक-दूसरे का सिर फोड़ देंगे.” मोदी के इस बयान पर सभा स्थल पर मौजूद भीड़ ने तालियों और नारों के साथ जोरदार प्रतिक्रिया दी.
मोदी ने कहा कि आज कांग्रेस और आरजेडी दोनों दलों के भीतर घमासान मचा हुआ है, और उनकी राजनीति केवल सत्ता की कुर्सी के लिए है, जनता के विकास या बिहार की प्रगति के लिए नहीं. उन्होंने विपक्षी गठबंधन को “विभाजित घर” बताया और कहा कि यह गठबंधन बिहार की जनता को भ्रमित नहीं कर पाएगा.
“महागठबंधन के अंदर इतनी नफरत है कि उनका एजेंडा अब केवल एक-दूसरे को नीचा दिखाने का रह गया है,” प्रधानमंत्री ने कहा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की जनता सब समझती है और इस बार एनडीए को प्रचंड जनादेश देने जा रही है.
मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘शाही परिवार’ पर भी कटाक्ष किया और कहा कि जब पाकिस्तान पर हमले होते थे, तब “कांग्रेस के शाही परिवार की नींद उड़ जाती थी.” उन्होंने कहा कि जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया और आतंक के खिलाफ कड़े कदम उठाए, तो कांग्रेस नेतृत्व बेचैन हो उठा था. “धमाके पाकिस्तान में हो रहे थे, लेकिन नींद कांग्रेस के शाही परिवार की उड़ रही थी,” मोदी ने कहा.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि जब-जब देश की अस्मिता और आस्था के प्रतीक आयोजनों की बात आती है, तब कांग्रेस और आरजेडी का रवैया नकारात्मक रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले जब प्रयागराज में महाकुंभ आयोजित हुआ था, तब आरजेडी नेताओं ने उसे ‘फालतू’ कहा था. इसी तरह, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने छठ पर्व को “ड्रामा” कहा था. मोदी ने जनता से अपील की कि वे ऐसे नेताओं को करारा जवाब दें जिन्होंने भारत की संस्कृति और लोक आस्था का अपमान किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “छठ पर्व हमारे आस्था और मातृत्व की पूजा का प्रतीक है. जो लोग इसे मजाक बनाते हैं, उन्हें जनता ऐसा सबक सिखाए कि भविष्य में कोई भी हमारी परंपराओं का अपमान करने की हिम्मत न करे.”
सभा में मौजूद लोगों ने ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ प्रधानमंत्री का भाषण कई बार बाधित किया. मोदी ने भी भीड़ की ओर मुस्कुराते हुए कहा, “जो लोग जोड़-घटाना करने का काम करते हैं, वे आरा आकर देखें कि लहर किस दिशा में चल रही है.” उन्होंने कहा कि इस बार बिहार की जनता जातिवाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार की राजनीति से तंग आ चुकी है और एनडीए को “रिकॉर्ड बहुमत” देने जा रही है.
मोदी ने आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को “स्वार्थों का समूह” बताया और कहा कि उनकी राजनीति केवल सत्ता की कुर्सी के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने कहा कि जो लोग बिहार को अंधेरे दौर में ले गए, वही अब ‘नया बिहार’ बनाने की बात कर रहे हैं. “जिनके शासन में अपराध और जातीय नरसंहार चरम पर थे, वे आज विकास की बात कर रहे हैं. जनता उन्हें अच्छी तरह पहचान चुकी है,” उन्होंने कहा.
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी जोड़ा कि आरजेडी के शासनकाल में दलितों और पिछड़े वर्गों के युवाओं को हिंसा और माओवाद की ओर धकेला गया. “जब आरजेडी और कांग्रेस की सरकार थी, तब गरीबों के बेटे बंदूक उठाने को मजबूर हुए. अब वही लोग आज खुद को विकास का चेहरा बता रहे हैं,” उन्होंने कहा.
आरा की इस सभा में प्रधानमंत्री के तीखे शब्दों ने चुनावी माहौल को और गरमा दिया है. राजनीतिक पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि मोदी का यह भाषण न केवल विपक्षी गठबंधन की आंतरिक असहमति को उजागर करता है, बल्कि यह एनडीए के चुनावी नैरेटिव को भी धार देने की कोशिश है—जहाँ वे स्थिरता, विकास और राष्ट्रीय गौरव को अपनी प्रमुख उपलब्धि के रूप में पेश कर रहे हैं.
मोदी ने अपने संबोधन का समापन यह कहते हुए किया कि बिहार अब “गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार की राजनीति” नहीं चाहता. “अब जनता तय कर चुकी है—बिहार में विकास की लहर को कोई नहीं रोक सकता,” उन्होंने कहा.
प्रधानमंत्री का यह बयान चुनावी मौसम में विपक्ष के लिए नई चुनौती बन गया है. एक ओर आरजेडी और कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री पद की अंदरूनी खींचतान की चर्चा ज़ोरों पर है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी और उसके सहयोगी दल इस बयान को अपने प्रचार अभियान के केंद्र में ला रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मोदी का यह आक्रामक रुख न केवल विपक्षी खेमे को रक्षात्मक स्थिति में लाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि बिहार का चुनावी संग्राम अब और तीखा होने वाला है.





