नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग राज्यों में चल रहे मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में लगे बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) के तौर पर काम कर रहे कई पुरुषों और महिलाओं की मौत और आत्महत्या पर गंभीर चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान बीएलओ की दिक्कतों को कम करने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने संबंधित राज्यों को एसआईआर ड्यूटी के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात करने का आदेश दे दिया है। ताकि एसआईआर में लगे लोगों के काम के घंटे कम हो सकें और उन पर मानसिक बोझ खत्म कर सके। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने साफ किया कि अगर बूथ लेवल ऑफिसर्स किसी खास वजहों का हवाला देकर छुट्टी मांगते हैं, तब उस पर केस-टू-केस बेसिस पर विचार होना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने बीएलओ के काम करने के हालात और मेंटल हेल्थ के लिए राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया, और कहा कि जहां 10,000 स्टाफ तैनात हैं, वहां 30,000 स्टाफ भी तैनात हो सकते हैं? शीर्ष अदालत ने राज्यों को फटकार लगाकर पूछा कि ऐसा क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि जो बीएलओ ड्यूटी से छूट मांग रहे हैं, खासकर अगर वे बीमार हैं या किसी और वजह से असमर्थ हैं, तब उन्हें छुट्टी दें और उनकी जगह किसी और को रखा जाए। शीर्ष अदालत ने बीएलओ को बड़ी राहत देकर कहा कि अगर राज्य की तरफ से ऐसी राहत नहीं मिलती है, तब संबंधित बीएलओ कोर्ट से सीधे संपर्क कर सकता है। शीर्ष अदालत के ये निर्देश अभिनेता विजय की तमिलगा वेत्री कझगम की याचिका के बाद आए हैं, जिसके अगले साल तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनाव लड़ने की उम्मीद है।
टीवीके ने कई बीएलओ की मौत पर हुए विवाद के बीच कोर्ट का रुख किया था। तमिल पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि 35 से 40 के करीब बीएलओ की मौत हो चुकी है और चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट के सेक्शन 32 के तहत बीएलओ को जेल भेजने की धमकी देकर उन्हें काम करने के लिए मजबूर कर रहा है।
वहीं टीवीके ने अपनी याचिका में तर्क दिया, “हर राज्य में इसतरह के परिवार हैं, जिनके बच्चे अनाथ हो गए हैं या माता-पिता अलग हो गए हैं… क्योंकि आयोग सेक्शन 32 के नोटिस भेज रहा है।” याचिका में मौत या आत्महत्या करने वाले बीएलओ के परिजनों के लिए मुआवज़े की भी मांग की गई है। पार्टी ने कहा, …अभी बस यही अनुरोध है कि आयोग ऐसी सख्त कार्रवाई न करे। पार्टी ने दावा किया कि सिर्फ उत्तर प्रदेश में बीएलओ के खिलाफ 50 से ज़्यादा पुलिस केस दर्ज किए गए हैं।































