डिजिटल अरेस्ट स्कैम: पीड़ितों को मिले मुआवजा, एजेंसियों के साथ करें बैठक: सुप्रीम कोर्ट

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News Desk
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नई दिल्ली। साइबर ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर लिए गए स्वतः संज्ञान मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह पीड़ितों को मुआवज़ा दिलाने के मुद्दे पर स्टेकहोल्डर बैठक करेगी। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच इस मुद्दे पर लिए स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।
इस मामले में एमिक्स क्यूरी यानी न्याय मित्र सीनियर एडवोकेट एनएस नप्पिनई ने यूके के ऑथराइज्ड पुश पेमेंट स्कैम मॉडल की तर्ज पर पीड़ित मुआवज़ा योजना का सुझाव दिया, जो बैंकिंग चैनल के दखल से पीड़ितों को अनिवार्य रूप से पैसे वापस दिलाने की गारंटी देता है। सीजेआई ने कहा कि जब ऐसे धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन होते हैं तो बैंकों को अलर्ट करने के लिए ऑटोमैटिक सिस्टम की जरूरत है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एजी आर वेंकटरमणी ने बताया कि सीबीआई ने कुछ इनपुट दिए हैं और एमिक्स के सुझावों पर विचार करने के लिए एक इंटर-डिपार्टमेंटल बैठक का सुझाव भी दिया है।
इस पर विचार करते हुए बेंच ने आदेश पारित किया कि हमें इसमें कोई शक नहीं है कि सभी स्टेकहोल्डर्स, एजी के मार्गदर्शन में अपनी तरफ से उचित फैसले लेंगे और इस कोर्ट को सूचित करेंगे। एमिक्स की सिफारिशों पर संबंधित विभाग भी विचार कर सकते हैं। इससे पहले बेंच ने सीबीआई को डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामलों की जांच करने का आदेश दिया था। कोर्ट मुख्य रूप से डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर ध्यान दे रहा है। साइबर अपराध की अन्य श्रेणियों पर बाद में विचार किया जा सकता है, जो उनके प्रभाव और आगे के दखल की जरूरत पर निर्भर करेगा।

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