Home खास आपके लिए भारत ने पनडुब्बी से सफलतापूर्वक परीक्षण किया 3500KM रेंज वाली घातक परमाणु...

भारत ने पनडुब्बी से सफलतापूर्वक परीक्षण किया 3500KM रेंज वाली घातक परमाणु मिसाइल

4
News Desk

नई दिल्ली । भारत ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में अपनी परमाणु संचालित पनडुब्बी(Nuclearpoweredsubmarine) INS अरिघात से 3500 किलोमीटर रेंज वाली इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल(intermediate-range ballistic missile) K-4 का परीक्षण किया। यह परीक्षण विशाखापत्तनम(test Visakhapatnam) तट के पास किया गया। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence)की ओर से इस परीक्षण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह ठोस ईंधन वाली K-4 मिसाइल थी, जो दो टन परमाणु पेलोड (nuclear payload)ले जाने में सक्षम है। यह मिसाइल भारत की परमाणु हथियार त्रयी के समुद्री हिस्से को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

मंगलवार के परीक्षण का व्यापक विश्लेषण किया जाएगा, ताकि यह तय हो सके कि क्या सभी निर्धारित तकनीकी पैरामीटर और मिशन उद्देश्य पूरे हुए हैं या कोई कमी रह गई है। बैलिस्टिक मिसाइलों, विशेष रूप से पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइलों को पूर्ण ऑपरेशनल स्टेटस हासिल करने के लिए कई परीक्षणों की जरूरत पड़ती है।

यहां भी पढ़े:  वोटर लिस्ट से नाम कटे तो किचन औजारों से लड़ें ममता बनर्जी की महिलाओं को अपील

दो स्टेज वाली K-4 मिसाइल के पहले कई परीक्षण वर्षों से समुद्र के भीतर सबमर्सिबल पॉन्टून प्लेटफॉर्म से किए जाते रहे हैं। हालांकि नवंबर 2024 में इसे पहली बार INS अरिघात से दागा गया था। INS अरिघात भारत की दूसरी परमाणु संचालित पनडुब्बी है, जो परमाणु हथियारों वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (नौसेना की भाषा में SSBN) ले जाने में सक्षम है। इसे पिछले साल 29 अगस्त को कमीशन किया गया था। यह 6,000 टन वजनी पनडुब्बी त्रि-सेवा रणनीतिक बल कमांड द्वारा संचालित की जाती है।

यहां भी पढ़े:  पाक सेना प्रमुख ने उगला भारत के खिलाफ ‘जहर’, आसिम मुनीर बोले- ‘भ्रम में न रहे इंडिया’; जानें विशेषज्ञ क्या कहते हैं

SSBN बेड़े का विस्तार
इसकी पूर्ववर्ती पनडुब्बी INS अरिहंत, जो 2018 में पूरी तरह ऑपरेशनल हुई, केवल 750 किलोमीटर रेंज वाली K-15 मिसाइलें ले जा सकती है। भारत अब गोपनीय रूप से चल रहे 90,000 करोड़ रुपये से अधिक के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (ATV) कार्यक्रम के तहत तीसरी SSBN INS अरिदमन को 2026 की पहली तिमाही में और चौथी को 2027-28 में कमीशन करेगा।

ये दोनों नई SSBN पहले दो की तुलना में थोड़ी बड़ी होंगी, जिनका विस्थापन 7,000 टन प्रत्येक होगा। भविष्य में 13,500 टन वाली SSBN बनाने की भी योजना है, जिनमें मौजूदा 83 MW की बजाय अधिक शक्तिशाली 190 MW प्रेशराइज्ड लाइट-वॉटर रिएक्टर लगाए जाएंगे। वर्तमान में भारत की SSBN अमेरिका, चीन और रूस की तुलना में आकार में आधी से भी कम हैं।

यहां भी पढ़े:  बीएमसी चुनावों में उद्धव–राज की संभावित एकजुटता से बदले सियासी समीकरण, भाजपा के लिए बढ़ी चुनौती

K-5 और K-6 की राह
K-4 की परिचालन तैनाती के बाद भारत 5,000 से 6,000 किलोमीटर रेंज वाली K-5 और K-6 पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों को भी शामिल करेगा। इससे अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ मौजूद अंतर को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी, जिनके पास अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) हैं।

परमाणु त्रिकोण की मजबूती
भारत के परमाणु त्रिकोण के अन्य दो चरण पहले से ही बेहद मजबूत माने जाते हैं। जमीनी चरण में Agni-5 जैसी 5,000 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली मिसाइलें हैं, जबकि वायुसेना के पास राफेल, सुखोई-30 एमकेआई और मिराज-2000 जैसे विमान हैं, जो परमाणु ग्रैविटी बम ले जाने में सक्षम हैं।

WP Twitter Auto Publish Powered By : XYZScripts.com