मुंबई में शनिवार को ‘सत्याचा मोर्चा’ के बैनर तले विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.
मुंबई में शुक्रवार को आयोजित ‘सत्याचा मोर्चा’ में महाराष्ट्र के प्रमुख विपक्षी दलों ने मिलकर चुनाव आयोग के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस रैली में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद पवार गुट) और मनसे के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया.
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कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और पूर्व मंत्री बाळासाहेब थोरात ने मोर्चे को संबोधित करते हुए कहा, “यह मोर्चा केवल चुनाव आयोग के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी है जो आयोग को चला रहे हैं. विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गई मतदाता सूचियों में भारी गड़बड़ियाँ हैं. जब तक ये सूचियाँ दुरुस्त नहीं की जातीं, तब तक स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव नहीं होने चाहिए.”
थोरात ने कहा कि कांग्रेस और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दलों ने पहले भी चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि विधानसभा की मतदाता सूचियों में लाखों फर्जी नाम शामिल हैं. लेकिन आयोग ने न तो कोई कार्रवाई की और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया. उन्होंने कहा, “मेरे संगमनेर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में करीब 9,500 फर्जी मतदाता हैं. जब हमने इसे सुधारने की मांग की, तो अधिकारियों ने कहा कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं है. अब वही बोगस सूची नगरपालिका और जिला परिषद चुनावों के लिए इस्तेमाल की जा रही है.”
थोरात ने बीजेपी पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि जैसे ही विपक्ष ने “सत्याचा मोर्चा” निकाला, सत्तारूढ़ भाजपा ने “मूक मोर्चा” निकाल लिया. उन्होंने सवाल किया, “क्या चुनाव आयोग भी इस मूक मोर्चे में शामिल है?”
इस सर्वदलीय मोर्चे में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, विजय वडेट्टीवार, सतेज पाटिल, नसीम खान, जयंत पाटिल, सचिन सावंत सहित कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), मनसे, शेकाप और वाम दलों के नेता बड़ी संख्या में शामिल हुए.
मोर्चे के मंच से शरद पवार, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने भी राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर लोकतंत्र को बचाना है, तो मतदाता सूचियों में पारदर्शिता ज़रूरी है, वरना जनता का भरोसा चुनाव प्रक्रिया से उठ जाएगा.
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