Akhil Chitre Post: `वोट जिहाद` बयान पर बवाल: आखिल चित्रे ने आशीष शेलार को घेरा, बोले- मतदाता सूची धर्म का नहीं, लोकतंत्र का मुद्दा है

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भाजपा नेता आशीष शेलार द्वारा एमवीए और मनसे पर लगाए गए `वोट जिहाद` के आरोप पर अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रवक्ता आखिल चित्रे ने तीखा पलटवार किया है.

भाजपा नेता आशीष शेलार के हालिया बयान — जिसमें उन्होंने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) पर “वोट जिहाद” का आरोप लगाया था- ने अब नया राजनीतिक संग्राम छेड़ दिया है. शेलार ने दावा किया था कि एमवीए उम्मीदवारों ने कई जगह उन मुस्लिम मतदाताओं की वजह से जीत हासिल की जिनके नाम मतदाता सूची में डुप्लिकेट पाए गए. उन्होंने यह भी कहा था कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे केवल सत्तारूढ़ दल के विधायकों पर “वोट चोरी” का आरोप लगा रहे हैं, जबकि उनके खुद के उम्मीदवार भी ऐसे वोटों से जीते हैं.

 


 

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अब इस बयान पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के युवा नेता आखिल चित्रे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा-

“आशीष शेलार जी, विषय फर्जी और डुप्लिकेट मतदाता को हटाने का है, किसी धर्म पर उंगली उठाने का नहीं. हकीकत यह है कि हिंदू, मुस्लिम, मराठी, अमराठी सभी समुदायों के नामों में फर्जी या डुप्लिकेट मतदाता पाए गए हैं. लेकिन हमेशा की तरह आप धर्म और जाति की राजनीति करके समाज को बांटने में जुटे हैं.”

चित्रे ने शेलार पर झूठा एजेंडा चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि शिवसेना (उद्धव गट) ने वर्ली की हालिया रैली में मतदाता सूची की अनियमितताओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी थी — और वह प्रेजेंटेशन किसी एक समुदाय पर केंद्रित नहीं थी. “उसमें शर्मा, पटेल, अंसारी, खान, गुप्ता, रज़ाक, कुप्रुस्वामी जैसे उपनामों वाले मतदाताओं के डुप्लिकेट पंजीकरण दिखाए गए थे. यानी यह मुहिम किसी धर्म के खिलाफ़ नहीं, बल्कि लोकतंत्र की शुद्धता के लिए है,” चित्रे ने स्पष्ट किया.

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उन्होंने यह भी लिखा- “मतदाता सूची को साफ़ रखना कोई धार्मिक या जातिगत मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने का प्रयास है. जो लोग इसे धर्म से जोड़ते हैं, वे लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहे हैं.”

आखिर में चित्रे ने शेलार पर पलटवार करते हुए सवाल उठाया — “#बताशीश शेलारजी, आपके बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में भी 10 से 12 हज़ार फर्जी मतदाता दर्ज हैं. क्या आप बता सकते हैं कि वे किस धर्म के हैं और असल में उनसे किसे फायदा हुआ?”

इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है. एमवीए नेताओं ने भाजपा पर “धार्मिक ध्रुवीकरण” के ज़रिए वास्तविक चुनावी गड़बड़ियों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा का कहना है कि “वोटर फ्रॉड” पर सवाल उठाना पारदर्शी लोकतंत्र की दिशा में ज़रूरी कदम है.

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