C.P. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में राज्यसभा का पहला सत्र विपक्ष ने निष्पक्षता बनाए रखने का आग्रह किया

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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष C.P. राधाकृष्णन ने सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को अपने पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए संसद के उच्च सदन में इतिहास रचा। उनके इस पहले सत्र में विपक्ष ने उनसे विशेष रूप से अपील की कि वे सदन में निष्पक्षता बनाए रखें और सभी दलों को समान रूप से प्रतिनिधित्व का अवसर दें। राजनीतिक दलों ने राधाकृष्णन की संवैधानिक मर्यादाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति निष्ठा की सराहना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर राधाकृष्णन के जीवन संघर्ष और उनकी विनम्र पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी यह यात्रा भारतीय लोकतंत्र की ताकत और समावेशिता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि भारतीय लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति के लिए कठिन परिश्रम और ईमानदारी से उच्चतम संवैधानिक पदों तक पहुंच संभव है।

सत्र की शुरुआत में ही विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच हल्की खटपट देखने को मिली। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पूर्ववर्ती जगीदीप धनखड़ के अचानक पदत्याग का उल्लेख किया, जिससे सत्तापक्ष ने जोरदार विरोध किया और सदन में कुछ समय के लिए हलचल मच गई। इस दौरान राधाकृष्णन ने संयम बनाए रखा और सदन को व्यवस्थित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।

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राज्यसभा अध्यक्ष ने सदस्यों से अनुरोध किया कि वे संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करते हुए अपने विचार व्यक्त करें और सभी दलों को समान अवसर दें। उन्होंने कहा कि राज्यसभा का मुख्य उद्देश्य लोकतंत्र के सिद्धांतों के अनुसार नीति निर्माण और विधायी चर्चा को सुचारू रूप से आगे बढ़ाना है।

विपक्ष ने विशेष रूप से आग्रह किया कि राधाकृष्णन सभी मुद्दों पर निष्पक्ष निर्णय लें और किसी भी पक्ष के प्रति पक्षपात न हो। उन्होंने यह भी कहा कि सदन में पूर्ववर्ती अध्यक्षों की घटनाओं को स्मरण करने की बजाय वर्तमान समय और नीतिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना अधिक आवश्यक है।

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सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधायी और संवैधानिक मुद्दों पर चर्चा हुई। वरिष्ठ सांसदों ने राधाकृष्णन की प्रशासनिक दक्षता और शांतिपूर्ण कार्यवाही की सराहना की। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की निष्पक्षता और संवैधानिक ज्ञान राज्यसभा की गरिमा बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

सत्र में विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच समय-समय पर बहस और तीखी टिप्पणियों के बावजूद, राधाकृष्णन ने संयम बनाए रखा और सदस्यों को याद दिलाया कि राज्यसभा का उद्देश्य केवल राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि देश के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्यसभा अध्यक्ष का पद न केवल जिम्मेदारी का प्रतीक है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और संवैधानिक मर्यादाओं को बनाए रखने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने राधाकृष्णन से अपेक्षा जताई कि वे सभी दलों के लिए सम्मानजनक और निष्पक्ष मंच सुनिश्चित करेंगे।

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इस सत्र ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि राज्यसभा में अनुशासन, निष्पक्षता और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। विपक्ष ने राधाकृष्णन को याद दिलाया कि निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखना उनका पहला और महत्वपूर्ण कर्तव्य है।

राज्यसभा अध्यक्ष के पहले सत्र में सांसदों ने आश्वासन व्यक्त किया कि वे अपने विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त करेंगे और संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करेंगे। इस सत्र ने भारतीय लोकतंत्र में संवैधानिक पदों की गरिमा और लोकतांत्रिक बहस की शक्ति को उजागर किया।

सत्र का समापन उम्मीद और विश्वास के साथ हुआ कि आने वाले सत्रों में C.P. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सभी दलों को समान अवसर मिलेगा और सभी मुद्दों पर खुले और निष्पक्ष बहस का वातावरण रहेगा। यह पहला सत्र भारतीय लोकतंत्र में संवैधानिक पदों के महत्व और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा को दर्शाने वाला साबित हुआ।

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