तिरुवनंतपुरम. केरल में वंदे भारत एक्सप्रेस की उद्घाटन यात्रा के दौरान स्कूल के छात्रों द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का गीत गाए जाने को लेकर रविवार को एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया. मामला उस समय सुर्खियों में आया जब कोच्चि के एक निजी विद्यालय सरस्वती विद्यनिकेतन पब्लिक स्कूल के छात्रों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे ‘गाना गीतम’ नामक गीत गा रहे थे. इस पर राज्य के शिक्षा मंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) के वरिष्ठ नेता वी. शिवनकुट्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और तत्काल जांच के आदेश जारी कर दिए.
वीडियो के सामने आने के बाद मंत्री शिवनकुट्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि “छात्रों का उपयोग किसी राजनीतिक संगठन के साम्प्रदायिक एजेंडा के लिए करना संविधान के सिद्धांतों का खुला उल्लंघन है. यह अत्यंत गंभीर मामला है और इसकी विस्तृत जांच की जाएगी.” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि यह साबित हुआ कि स्कूल प्रशासन ने जानबूझकर ऐसा कदम उठाया है, तो संस्था की एनओसी (No Objection Certificate) रद्द की जा सकती है.
यह घटना शनिवार को हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस का शुभारंभ किया. इस अवसर पर कई स्थानीय स्कूली बच्चे और शिक्षक आमंत्रित किए गए थे. रिपोर्ट के अनुसार, कोच्चि के सरस्वती विद्यनिकेतन स्कूल के 20 छात्र और दो अध्यापक ट्रेन की उद्घाटन यात्रा में शामिल हुए थे. कार्यक्रम के दौरान इन छात्रों से RSS के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रचलित गीत ‘गाना गीतम’ गवाया गया.
कार्यक्रम का वीडियो जैसे ही इंटरनेट पर आया, विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे लेकर तीखी आलोचना शुरू कर दी. कांग्रेस और वामपंथी कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि RSS अपने वैचारिक प्रचार के लिए शैक्षणिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहा है. कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, “वंदे भारत जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम को सांप्रदायिक रंग देना लोकतांत्रिक संस्थाओं का अपमान है. स्कूलों का काम बच्चों में संविधान और समानता की भावना जगाना है, न कि किसी संगठन का एजेंडा फैलाना.”
वहीं, कुछ भाजपा समर्थकों और दक्षिणपंथी समूहों ने सोशल मीडिया पर इस विवाद को ‘अनावश्यक राजनीति’ करार दिया. उनके अनुसार, ‘गाना गीतम’ एक सांस्कृतिक गीत है, न कि किसी राजनीतिक या धार्मिक प्रचार का हिस्सा. उनका तर्क था कि छात्रों ने केवल सांस्कृतिक प्रस्तुति दी थी, जिसे राजनीतिक रंग देना अनुचित है.
शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने हालांकि इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकारी अनुमति वाले किसी भी स्कूल को ऐसे विवादास्पद सांस्कृतिक आयोजनों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “हमारे स्कूल बच्चों को वैज्ञानिक और धर्मनिरपेक्ष सोच सिखाने के लिए हैं. यदि कोई संस्था बच्चों को किसी संगठन के विचारों से जोड़ने की कोशिश करती है, तो यह हमारे संविधान और राज्य की शैक्षणिक नीति दोनों के खिलाफ है.”
मंत्री के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को जांच का आदेश दे दिया गया है. उन्हें एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. शिक्षा विभाग यह भी जांच कर रहा है कि क्या स्कूल ने इस कार्यक्रम में भाग लेने की पूर्व अनुमति ली थी या नहीं.
राज्य में विपक्षी भाजपा ने सरकार पर “अनावश्यक दमन” का आरोप लगाया है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन एक राष्ट्रीय उत्सव था. छात्रों ने उत्साह से गीत गाया, इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक संदेश नहीं था. केरल सरकार RSS के नाम पर अंधविरोध कर रही है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वाम सरकार अपने वैचारिक मतभेदों के कारण स्कूलों को डराने का काम कर रही है.
इस विवाद ने केरल के शैक्षणिक संस्थानों में वैचारिक स्वतंत्रता और राजनीतिक प्रभाव के मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य के कई निजी स्कूलों में पाठ्यक्रम और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों पर वैचारिक प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. केरल विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के प्रोफेसर के. सुब्रह्मण्यम का कहना है, “शिक्षा का मूल उद्देश्य बच्चों में समावेशी और संवैधानिक दृष्टि पैदा करना है. यदि उन्हें किसी एक विचारधारा के अनुसार ढाला जा रहा है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है.”
दूसरी ओर, स्कूल प्रशासन ने मीडिया से कहा कि छात्रों ने केवल “संस्कृति से जुड़ा गीत” प्रस्तुत किया था और इसमें किसी राजनीतिक मकसद का सवाल ही नहीं है. स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “कार्यक्रम के आयोजकों ने हमसे बच्चों से कोई देशभक्ति गीत प्रस्तुत करने को कहा था. हमने सोचा कि ‘गाना गीतम’ एक उपयुक्त विकल्प है क्योंकि यह प्रेरणादायक शब्दों वाला गीत है. हमें यह नहीं पता था कि इसे RSS से जोड़ा जाएगा.”
हालांकि, शिक्षा विभाग ने इस बयान पर संदेह जताया है. एक अधिकारी ने कहा कि “यदि यह सच है कि स्कूल ने बिना अनुमति इस तरह का गीत चुना, तो यह नियमों का उल्लंघन है. और अगर किसी बाहरी संगठन ने बच्चों से यह गीत गवाया, तो यह और भी गंभीर मामला है.”
राज्य के विभिन्न शिक्षण संगठन भी अब इस विवाद में शामिल हो गए हैं. केरल स्टेट टीचर्स एसोसिएशन (KSTA) ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार सख्त दिशानिर्देश जारी करे. वहीं, सोशल मीडिया पर #RSSSongControversy और #VandeBharatKerala जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. कुछ यूजर्स ने वीडियो साझा करते हुए लिखा कि “बच्चों को राजनीतिक एजेंडा से दूर रखा जाए”, जबकि कुछ अन्य ने लिखा कि “देशभक्ति का गीत गाना अपराध नहीं होना चाहिए.”
राजनीतिक गलियारों में यह विवाद अब केवल एक स्कूल या कार्यक्रम तक सीमित नहीं रहा. यह केरल की शिक्षा व्यवस्था, वैचारिक तटस्थता और सांप्रदायिक राजनीति के बीच की महीन रेखा पर एक गहरी बहस को जन्म दे रहा है.
शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने अंत में कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कोई भी संस्था इस तरह से छात्रों को किसी संगठन के विचारों का साधन न बनाए. संविधान ने हमें जो धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्य दिए हैं, उन्हें स्कूलों में सबसे पहले सिखाया जाना चाहिए.”
जांच समिति अब इस बात की तह में जाएगी कि क्या सरस्वती विद्या निकेतन स्कूल ने वास्तव में जानबूझकर RSS गीत गवाया, या यह केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम की सामान्य प्रस्तुति थी. लेकिन इस बीच, केरल में यह मुद्दा शिक्षा और राजनीति के टकराव की नई मिसाल बन चुका है.

































