भारतीय पौराणिक कथाओं में हनुमान जी का व्यक्तित्व सदैव साहस, भक्ति, बुद्धिमत्ता और बल का प्रतीक रहा है. संपूर्ण रामायण महाकाव्य में हनुमान जी का स्थान केंद्रीय है. श्रीराम के प्रत्येक संकट को दूर करने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है. हनुमान जी के अनेक रूपों में पंचमुखी हनुमान का रूप अत्यंत विशिष्ट माना गया है, जिसका विवरण पुराणों में विस्तृत रूप से मिलता है.
श्रीराम और रावण के युद्ध के समय रावण को अपने भाई अहिरावण की सहायता की आवश्यकता पड़ी. अहिरावण तंत्र-मंत्र का प्रकांड पंडित एवं मां भवानी का अनन्य भक्त था. उसने सोचा कि यदि श्रीराम और लक्ष्मण को अपने कब्जे में ले लिया जाए, तो युद्ध स्वतः ही रावण के पक्ष में समाप्त हो जाएगा. इसके लिए उसने एक माया रची और सम्पूर्ण रावण सेना को गहरी निद्रा में डुबो दिया. इसके पश्चात उसने श्रीराम और लक्ष्मण को पाताललोक में बंधक बना लिया.
जब विभीषण ने यह रहस्य उजागर किया कि ऐसा केवल अहिरावण ही कर सकता है, तो सभी की निगाहें संकट मोचन हनुमान पर जा टिकीं. हनुमान जी तत्काल पाताललोक पहुँचे. द्वार पर रक्षक मकरध्वज से युद्ध कर उसे परास्त किया और पातालपुरी के महल में प्रवेश किया. वहाँ उन्होंने देखा कि श्रीराम और लक्ष्मण को बंधक बना लिया गया है और मां भवानी के सम्मुख उन्हें बलि देने की तैयारी थी. अहिरावण के अंत के लिए पाँच दीपकों को एकसाथ बुझाना आवश्यक था.
इस रहस्य को समझते ही हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया. इस रूप में उन्होंने उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख धारण किया. इस शक्ति के साथ उन्होंने एक साथ सभी दीपकों को बुझाया और अहिरावण का अंत किया. इसके पश्चात उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त किया और सागर तट पर युद्धस्थल की ओर लौट आए.
सागर पार करते समय हनुमान जी के स्वेद की एक बूंद ने मकरध्वज का जन्म दिया. इसे जानकर श्रीराम ने मकरध्वज को पातालपुरी का राज्य सौंपा और हनुमान जी को आदेश दिया कि वे अपने पुत्र के संरक्षण का ध्यान रखें. हनुमान जी ने श्रीराम की आज्ञा का पालन करते हुए दोनों को सुरक्षित वापस युद्धस्थल पर पहुँचाया.
हनुमान जी के इस रूप की कथा दर्शाती है कि संकट के समय बुद्धि, भक्ति और शक्ति का समन्वय ही सफलता की कुंजी है. पंचमुखी हनुमान का रूप केवल बल का प्रतीक नहीं, बल्कि हर दिशा में निगरानी और संतुलन का प्रतीक भी है. यह रूप हमारे लिए यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में धैर्य, विवेक और निष्ठा के साथ कार्य करने से विपरीत परिस्थितियाँ भी सकारात्मक परिणाम में बदल सकती हैं.
हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार पंचमुखी हनुमान की पूजा और मंत्र जाप विशेष रूप से घर में कलह और क्लेश को दूर करने तथा परिवार में समृद्धि लाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है. मंत्र का नियमित जाप न केवल मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.
मनुष्य जीवन में कठिनाइयों का सामना अवश्य करता है, लेकिन हनुमान जी की भक्ति और उनके अद्भुत रूपों की कथाएँ यह सिखाती हैं कि आत्मबल, निष्ठा और साहस से किसी भी संकट को पार किया जा सकता है. पंचमुखी हनुमान का रूप हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है कि हम कठिन समय में भी धैर्य और विवेक के साथ कार्य करें.
इस अद्भुत कथा के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि हनुमान जी केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व में निहित गुण मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं. पंचमुखी हनुमान की कथा हमें यह भी सिखाती है कि संकट के समय बहु-आयामी दृष्टिकोण और निष्ठा के साथ कार्य करना ही वास्तविक विजय की कुंजी है.
हनुमान जी के पंचमुखी रूप का यह विवरण न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और मानसिक दृष्टि से भी प्रेरणादायक है. यह कथा हमें यह याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति, साहस और ज्ञान का समन्वय ही जीवन में हर बाधा को पार करने में सहायक होता है.
पंचमुखी हनुमान का मंत्र है – ॐ हुम् फट स्वाहा ॐ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्व दुष्टजन मुख स्तम्भनं कुरु स्वाहा, ॐ ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ॐ ठं ठं ठं फट् स्वाहा. इस मंत्र का नित्य जाप करने से घर में कलह-क्लेश दूर रहते हैं और परिवार में समृद्धि आती है.
हनुमान जी की भक्ति और उनके पंचमुखी रूप की कथा यह दर्शाती है कि कठिन समय में साहस, बुद्धि और भक्ति का संयोजन हमें जीवन की हर चुनौती से उबार सकता है. यह कथा, पुराणों और महाकाव्यों में वर्णित, न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जनता के लिए जागरूकता और प्रेरणा का भी स्रोत है.
हनुमान जी का पंचमुखी रूप आज भी भक्तों के लिए शक्ति, साहस, भक्ति और समाधान का प्रतीक है. उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि मानसिक और सामाजिक दृष्टि से भी संकटों का सामना दृढ़ता और निष्ठा से करना चाहिए. इस प्रकार, पंचमुखी हनुमान की कथा और उनके मंत्र आज भी समाज और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का माध्यम बने हुए हैं.
आज के समय में भी जब समाज अनेक चुनौतियों और तनावों से गुजर रहा है, पंचमुखी हनुमान की कथा और उनका मंत्र लोगों के लिए मानसिक शांति, साहस और सुरक्षा का स्रोत बने हुए हैं. यह कथा दर्शाती है कि कठिनाई और संकट केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक भी हो सकते हैं, जिन्हें निष्ठा, भक्ति और साहस के माध्यम से आसानी से पार किया जा सकता है.
हनुमान जी का पंचमुखी रूप यह संदेश देता है कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन, बहुमुखी दृष्टिकोण और निष्ठा के साथ कार्य करना आवश्यक है. उनकी कथा हर उम्र और वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणादायक है और इसे पढ़ना और सुनना मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से लाभकारी है.
इस प्रकार, पंचमुखी हनुमान की कथा और उनका मंत्र जनता के लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा. यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और मानसिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, और घर, समाज और देश में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने में सहायक है.

































