नए साल में शुक्र अस्त होने से 31 जनवरी के बाद ही बजेगी शादी की शहनाई

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नए साल की दहलीज पर खड़ा हर शख्स जहां खुशियों और नई उम्मीदों का स्वागत करने के लिए बेकरार है वहीं हजारों परिवारों की निगाहें पंचांग के उन पन्नों पर टिकी हैं जो जीवन के सबसे बड़े मांगलिक उत्सव यानी विवाह की शहनाइयों का रास्ता साफ करेंगे। भारतीय जनमानस में शादी-ब्याह सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा सामाजिक और आध्यात्मिक आयोजन होता है जिसके लिए शुभ घड़ियों का इंतजार महीनों पहले से शुरू हो जाता है। वर्तमान में जो सबसे बड़ी जिज्ञासा लोगों के मन में घर कर रही है वह यह है कि मकर संक्रांति के बाद जब सूर्य का उत्तरायण होना तय है और खरमास की पाबंदियां हटने वाली हैं तो फिर आखिर ऐसी कौन सी बाधा आन पड़ी है जिसने जनवरी के पूरे महीने में विवाह के मंडपों को सूना कर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर ड्राइंग रूम की चर्चाओं तक बस एक ही सवाल गूंज रहा है कि आखिर 31 जनवरी तक ऐसा क्या होने जा रहा है जो शुभ कार्यों पर पूरी तरह रोक लग गई है। इस कौतूहल का जवाब छिपा है आकाश मंडल की उस खगोलीय और ज्योतिषीय घटना में जिसे शास्त्रों में शुक्र ग्रह का अस्त होना या 'शुक्र तारा डूबना' कहा जाता है।

आमतौर पर आम आदमी की धारणा यही होती है कि मकर संक्रांति के आते ही सारे रुके हुए मांगलिक काम शुरू हो जाएंगे क्योंकि सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश कर जाते हैं। लेकिन इस बार का समीकरण कुछ अलग और चौंकाने वाला है। ज्योतिषीय गणनाओं की गहराई में उतरें तो पता चलता है कि शुभ कार्यों की सफलता के लिए केवल सूर्य का मजबूत होना ही काफी नहीं है बल्कि प्रेम, विलासिता और दांपत्य सुख के स्वामी शुक्र देव का उदय होना अनिवार्य शर्त है। वर्तमान स्थिति यह है कि शुक्र ग्रह सूर्य के अत्यंत करीब आने के कारण अपना तेज खो चुके हैं और वे पूर्व दिशा में अस्त अवस्था में चल रहे हैं। जब कोई भी ग्रह सूर्य के सानिध्य में इतना निकट आ जाता है कि उसका अपना प्रभाव क्षीण पड़ जाए तो उसे 'अस्त' माना जाता है। अब कल्पना कीजिए कि एक ऐसी शादी की जहां सुख-सुविधाओं और वैवाहिक आनंद का आशीर्वाद देने वाला ग्रह ही खुद सुप्तावस्था में हो तो भला वह नवदंपति को सुखी जीवन का वरदान कैसे दे पाएगा। यही वह मुख्य कारण है जिसने लाखों सगाई कर चुके जोड़ों और उनके परिवारों को असमंजस में डाल दिया है कि उन्हें अब फरवरी की शुरुआत तक का इंतजार करना होगा।

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जनता के बीच इस बात को लेकर भी भारी उत्सुकता है कि शुक्र का प्रभाव आखिर हमारे जीवन पर इतना गहरा क्यों है। दरअसल वैदिक ज्योतिष में शुक्र को न केवल ऐश्वर्य और धन का देवता माना गया है बल्कि इसे वैवाहिक जीवन की आधारशिला भी कहा जाता है। यदि कोई व्यक्ति नया घर बना रहा है या नए वाहन की खरीदारी करना चाहता है अथवा अपने बच्चे का मुंडन या विवाह संस्कार संपन्न करना चाहता है तो उसे शुक्र की अनुकूलता देखनी ही पड़ती है। जानकारों का कहना है कि शुक्र के अस्त होने का सीधा अर्थ है कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का वह हिस्सा जो भौतिक सुखों को पोषित करता है वह फिलहाल सक्रिय नहीं है। ऐसे में किए गए मांगलिक कार्य अपनी पूर्णता को प्राप्त नहीं कर पाते और उनमें विघ्न आने की आशंका बनी रहती है। यही वजह है कि 31 जनवरी 2026 तक के कैलेंडर में किसी भी बड़े मांगलिक आयोजन की तारीख नहीं मिल रही है। यह अंतराल उन लोगों के लिए एक परीक्षा की घड़ी की तरह है जो बेसब्री से बैंड-बाजे और बारात की तैयारियों में जुटे थे लेकिन अब उन्हें अपनी योजनाओं को थोड़ा आगे खिसकाना पड़ रहा है।

इस खबर ने बाजार और व्यापारियों के बीच भी एक अजीब सी हलचल पैदा कर दी है। विवाह से जुड़े उद्योग जैसे कैटरिंग, टेंट हाउस, फोटोग्राफी और ज्वेलरी मार्केट में इस 'शुक्र अस्त' का सीधा असर देखने को मिल रहा है। व्यापारियों में इस बात की जिज्ञासा है कि क्या फरवरी में मुहूर्तों की बाढ़ आएगी या फिर यह मंदी का दौर लंबा खिंचेगा। दूसरी ओर आम जनता अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए ज्योतिषाचार्यों के पास पहुंच रही है कि क्या कोई ऐसा मध्यम मार्ग या काट मौजूद है जिससे इस अवधि में भी छोटे-मोटे मांगलिक कार्य किए जा सकें। हालांकि धर्मशास्त्री इस मामले में बहुत स्पष्ट हैं कि शुक्र तारा डूबा होने पर किसी भी प्रकार का 'प्राण-प्रतिष्ठा' या 'पाणिग्रहण' संस्कार वर्जित है। यह स्थिति 31 जनवरी तक बनी रहेगी जिसके बाद शुक्र का उदय होगा और तभी जाकर शुभ कार्यों की शहनाई फिर से गूंज उठेगी। लोगों के मन में यह सवाल भी कौंध रहा है कि क्या इस दौरान सिर्फ शादियां ही रुकी रहेंगी या अन्य धार्मिक कार्यों पर भी इसका असर पड़ेगा। स्पष्ट रहे कि नित्य पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन या पहले से निर्धारित अनुष्ठानों पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन नए संकल्पों और संस्कारों के लिए समय अनुकूल नहीं है।

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जैसे-जैसे साल 2025 अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है और 2026 की पहली किरण दिखने को तैयार है वैसे-वैसे लोग पंचांग की गणनाओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं। शुक्र के इस 'वनवास' काल में संयम और धैर्य ही सबसे बड़ा उपाय बताया जा रहा है। ज्योतिषीय परामर्शों की मानें तो इस दौरान सफेद वस्तुओं के दान और शुक्र के बीज मंत्रों के जाप से व्यक्तिगत जीवन में शांति बनी रह सकती है। जिज्ञासा इस बात को लेकर भी है कि 31 जनवरी के बाद जब शुक्र का उदय होगा तो क्या स्थितियां तुरंत सामान्य हो जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही शुक्र अपनी खोई हुई आभा प्राप्त कर लेंगे वैवाहिक मुहूर्त की झड़ी लग जाएगी और वह समय उन तमाम लोगों के लिए उत्सव का होगा जिन्होंने महीनों तक इस घड़ी का इंतजार किया है। फिलहाल पूरा समाज इस खगोलीय घटनाक्रम का गवाह बन रहा है जहां विज्ञान और विश्वास की कड़ियां एक साथ जुड़ती नजर आती हैं। हर कोई बस इसी उम्मीद में है कि जनवरी का यह सूखा जल्द खत्म हो और फरवरी की शुरुआत नई खुशियों और वैवाहिक मिलन के उल्लास के साथ हो। इस बीच लोग अपने घरों में शादी की तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं ताकि जैसे ही शुक्र देव का उदय हो वे बिना किसी देरी के अपने मांगलिक कार्यों को संपन्न कर सकें। यह इंतजार केवल एक महीने का नहीं है बल्कि यह उस मर्यादा का सम्मान है जो सदियों से हमारी संस्कृति में ग्रहों और नक्षत्रों की चाल को दी जाती रही है। आने वाले दिनों में जब शुक्र का तारा फिर से पूर्व दिशा में अपनी चमक बिखेरेगा, तब समाज में खुशियों का नया सवेरा होगा।

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31 जनवरी 2026 को शुक्र तारा उदय होने के बाद, फरवरी का महीना विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ और व्यस्त रहने वाला है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, फरवरी में विवाह के लिए कई श्रेष्ठ मुहूर्त बन रहे हैं।

यहाँ फरवरी 2026 के प्रमुख विवाह मुहूर्त की सूची दी गई है:

फरवरी 2026 विवाह शुभ मुहूर्त

तिथि दिन नक्षत्र
2 फरवरी 2026 सोमवार मघा नक्षत्र
3 फरवरी 2026 मंगलवार पूर्वा फाल्गुनी
6 फरवरी 2026 शुक्रवार हस्त नक्षत्र
7 फरवरी 2026 शनिवार चित्रा नक्षत्र
11 फरवरी 2026 बुधवार अनुराधा नक्षत्र
12 फरवरी 2026 गुरुवार जेष्ठा/मूल नक्षत्र
15 फरवरी 2026 रविवार श्रवण नक्षत्र
21 फरवरी 2026 शनिवार रेवती नक्षत्र
25 फरवरी 2026 बुधवार रोहिणी नक्षत्र

मुहूर्त का विशेष महत्व

  • वसंत पंचमी: फरवरी में ही वसंत पंचमी (22 फरवरी 2026) का त्योहार भी पड़ेगा। इस दिन को 'अनसूझ मुहूर्त' माना जाता है, यानी यदि किसी को विशेष मुहूर्त नहीं मिल रहा हो, तो वे इस दिन बिना पंचांग देखे भी विवाह संपन्न कर सकते हैं।

  • शुक्र का प्रभाव: 31 जनवरी के बाद शुक्र के उदय होने से वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ेगी।

सुझाव: शादी की तारीख पक्की करने से पहले अपनी कुंडली के अनुसार स्थानीय पंडित या ज्योतिषाचार्य से वर-वधू के गुणों का मिलान और सटीक समय (लग्न) जरूर निकलवा लें।

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