नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया भाषण की तारीफ़ करने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर अब राजनीतिक विवाद के केंद्र में हैं. बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के तुरंत बाद दिए गए इस भाषण पर थरूर की ओर से की गई सराहना ने कांग्रेस के भीतर असहजता पैदा कर दी, जिसके बाद भाजपा ने भी इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उछाल दिया है. दोनों दलों के बीच शुरू हुई सियासी नोकझोंक में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है और इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में लगातार हलचल बनी हुई है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थरूर ने अपनी X पोस्ट में प्रधानमंत्री के भाषण की शैली, संदेश और ऐतिहासिक संदर्भों की सराहना की थी. उन्होंने लिखा कि वह खराब तबीयत—तेज़ ठंड और ज़बरदस्त खाँसी—के बावजूद ‘रमनाथ गोयनका लेक्चर’ में मौजूद रहे और उन्हें प्रधानमंत्री का संदेश “महत्वपूर्ण” लगा. थरूर ने कहा कि भाषण में वह ‘भावनात्मक मोड’ दिखा, जिसका उद्देश्य देश की समस्याओं को दूर करने की प्रतिबद्धता जताना था. उनके इस मूल्यांकन के बाद कांग्रेस की भीतर कई आवाज़ें उठीं, जिन्होंने इसे राजनीतिक रूप से गलत और अनुचित बताया.
भाजपा ने इस प्रतिक्रिया को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है. पार्टी प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस “पूरा देश को लोकतंत्र का ज्ञान देती है, लेकिन अपनी पार्टी में लोकतंत्र का नामोनिशान नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं पर किसी भी स्वतंत्र राय पर “फतवा जैसा दबाव” डाल दिया जाता है. पूनावाला ने यह भी कहा कि कांग्रेस को ‘आईएनसी’ की जगह ‘इंदिरा नाज़ी कांग्रेस’ कहा जाना चाहिए क्योंकि पार्टी में “तानाशाही मानसिकता” हावी है और असहमति को दुश्मनी की तरह देखा जाता है.
ये राजनीतिक बयानबाज़ी तब तेज़ हुई जब कांग्रेस ने थरूर के वक्तव्य की सार्वजनिक आलोचना की और कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण “सतही”, “राजनीतिक” और “प्रचार आधारित” था. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनाथ ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री के भाषण में कुछ भी ऐसा नहीं दिखा जो प्रशंसा योग्य हो, और पूछा कि थरूर को इसमें वास्तव में क्या पसंद आया. श्रीनाथ के अनुसार देश गंभीर आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहा है और प्रधानमंत्री को ठोस मुद्दों पर बात करनी चाहिए थी, न कि केवल भावनात्मक शैली अपनानी चाहिए थी.
थरूर ने प्रधानमंत्री के भाषण में विशेष रूप से मैकॉले के प्रभाव, औपनिवेशिक मानसिकता और उससे मुक्ति के आह्वान की सराहना की थी. उन्होंने इसे भारतीय ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक आत्मगौरव से जुड़ा “महत्वपूर्ण विमर्श” बताया था. प्रधानमंत्री ने भाषण में 200 वर्षों की “गुलामी की मानसिकता” को समाप्त करने के लिए 10 वर्षीय राष्ट्रीय मिशन का सुझाव दिया था—जिस हिस्से को थरूर ने विशेष रूप से उल्लेखनीय बताया.
हालाँकि कांग्रेस के कई नेता इस राय से सहमत नहीं दिखाई दिए. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री का पूरा भाषण केवल एक राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने के उद्देश्य से था, जिसका मकसद विपक्ष को कमजोर दिखाना और राष्ट्रवाद को नई व्याख्या देना था. बिहार चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी पहले ही मनोबल की चुनौती से जूझ रही है, ऐसे में थरूर का इस समय प्रधानमंत्री की सार्वजनिक प्रशंसा करना कई नेताओं को गलत संदेश देने वाला लगा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, इसे अनुशासनहीनता माना जा सकता है, भले ही थरूर इसे अपनी स्वतंत्र विचारधारा का हिस्सा बताते रहे हैं.
इस बीच भाजपा कांग्रेस की “असहिष्णुता” को मुद्दा बनाकर इसे व्यापक राजनीतिक विमर्श से जोड़ रही है. उसका कहना है कि कांग्रेस में स्वतंत्र अभिव्यक्ति की कोई जगह नहीं और परिवारवाद के कारण छोटे से मतभेद को भी विद्रोह मान लिया जाता है. पार्टी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के पास अब सकारात्मक राजनीति की जगह केवल विरोध बचा है और इसलिए वह अपने ही वरिष्ठ नेताओं की स्वतंत्र टिप्पणी नहीं सह पाती.
थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में राजनीतिक संवाद पहले से कहीं अधिक संवेदनशील और प्रभावशाली हो चुका है. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी बहस जारी है. कई उपयोगकर्ता इसे “मुक्त विचार” का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे कांग्रेस के भीतर की पुरानी खींचतान का संकेत मानते हैं. थरूर पहले भी अपनी बौद्धिक और स्वतंत्र शैली के कारण पार्टी लाइन से अलग राय रखते रहे हैं, लेकिन इस बार विवाद अधिक तीखा इसलिए हो गया क्योंकि यह विषय सीधे प्रधानमंत्री की तारीफ़ से जुड़ा है.
कांग्रेस अब इस विवाद को सीमित करने की कोशिश में लगी है, जबकि भाजपा इसे चुनावी माहौल में भुनाने की रणनीति बनाती दिख रही है. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि थरूर इस पर और स्पष्टीकरण देते हैं या पार्टी इस मामले में कोई औपचारिक रुख अपनाती है. फिलहाल इतना तय है कि एक भाषण की तारीफ़ ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा तूफ़ान खड़ा कर दिया है और इसकी गूँज आगे भी सुनाई देने की पूरी संभावना है.

































