भारत में लग्ज़री की परिभाषा तेजी से बदल रही है. कभी आलीशान कारें, बंगले और प्राइवेट जेट्स अमीरी की पहचान माने जाते थे, लेकिन अब कलाई पर बंधी एक घड़ी भी किसी व्यक्ति के रुतबे, पहुंच और स्टेटस को बयान कर देती है. इसी बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभरा है रिचर्ड मिल वॉच ब्रांड, जिसकी चर्चा उस वक्त और तेज हो गई जब अनंत अंबानी ने भारत दौरे पर आए फुटबॉल के दिग्गज लियोनेल मेसी को करीब 11 करोड़ रुपये की रिचर्ड मिल घड़ी गिफ्ट की. यह सिर्फ एक तोहफा नहीं था, बल्कि उस लग्ज़री कल्चर का संकेत था, जिसमें एक्सक्लूसिविटी ही सबसे बड़ी पहचान बन चुकी है.
रिचर्ड मिल आज भारत के सबसे अमीर उद्योगपतियों, फिल्मी सितारों और खेल जगत के सुपरस्टार्स के बीच नया स्टेटस सिंबल बन चुकी है. 3 करोड़ रुपये से शुरू होने वाली इसकी कीमतें इसे आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर रखती हैं. यही दूरी इस ब्रांड को और खास बनाती है. शाहरुख खान, हार्दिक पांड्या, रामचरण और अंबानी परिवार जैसे नामों का इससे जुड़ना बताता है कि रिचर्ड मिल अब सिर्फ घड़ी नहीं, बल्कि एक बयान बन चुकी है.
इस ब्रांड की कहानी भी उतनी ही अलग है जितनी इसकी घड़ियां. रिचर्ड मिल की शुरुआत करीब 25 साल पहले हुई, जब वॉच इंडस्ट्री पर पारंपरिक डिज़ाइन और क्लासिक सोच का दबदबा था. ब्रांड के फाउंडर रिचर्ड मिल ने इसी सोच को तोड़ने का फैसला किया. उनका सपना एक ऐसी घड़ी बनाना था, जो देखने में लग्ज़री हो, लेकिन अंदर से किसी रेसिंग कार जैसी मजबूत और हल्की हो. साल 2001 में लॉन्च हुई उनकी पहली घड़ी ‘RM 001 टर्बुलन’ इसी सोच का नतीजा थी. उस समय इसकी कीमत करीब 1.30 लाख डॉलर थी और सिर्फ 17 पीस बनाए गए थे. यहीं से यह साफ हो गया था कि रिचर्ड मिल भीड़ के लिए नहीं, बल्कि बेहद सीमित लोगों के लिए बनाई जाएगी.
रिचर्ड मिल की सबसे बड़ी खासियत इसकी इंजीनियरिंग मानी जाती है. यह ब्रांड परंपरागत घड़ी निर्माण से हटकर एयरोस्पेस और मोटरस्पोर्ट्स की दुनिया से प्रेरणा लेता है. इसकी घड़ियों में टाइटेनियम, ग्रेफीन और कार्बन TPT जैसे मटेरियल का इस्तेमाल होता है, जो आमतौर पर स्पेसशिप और फॉर्मूला-1 कारों में देखने को मिलते हैं. इन मटेरियल्स की वजह से घड़ियां बेहद हल्की होने के साथ-साथ झटकों को सहने में भी असाधारण रूप से सक्षम होती हैं. हालांकि बाहर से ये अत्याधुनिक मशीनों से तैयार की जाती हैं, लेकिन अंदर का जटिल और नाज़ुक काम आज भी कारीगरों के हाथों से ही किया जाता है.
इस ब्रांड की विश्वसनीयता सिर्फ शोकेस तक सीमित नहीं है, बल्कि खेल के मैदान में इसकी असली परीक्षा होती है. रिचर्ड मिल उन चुनिंदा वॉच ब्रांड्स में से है, जिसके ब्रांड एंबेसडर मुकाबलों के दौरान भी इसकी घड़ियां पहनते हैं. टेनिस स्टार राफेल नडाल का ‘RM 027’ पहनकर खेलना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. महज 20 ग्राम वजनी यह घड़ी तेज रफ्तार और जबरदस्त झटकों के बीच भी टिके रहने की क्षमता रखती है. इसी तरह फॉर्मूला-1 ड्राइवर और इंटरनेशनल एथलीट्स भी इसे रेस और ट्रैक पर पहनते हैं. इससे कंपनी को न केवल ब्रांड वैल्यू मिलती है, बल्कि यह साबित होता है कि यह घड़ी सिर्फ दिखावे की चीज नहीं है.
भारत में रिचर्ड मिल घड़ी रखना एक बेहद सीमित और खास सर्कल की पहचान बन गया है. क्रिकेटर हार्दिक पांड्या के पास इस ब्रांड की कई घड़ियां बताई जाती हैं, जिनकी कीमत 5 करोड़ रुपये से ऊपर है. शाहरुख खान को ‘RM 052’ जैसे दुर्लभ मॉडल में देखा गया है, जबकि साउथ के सुपरस्टार रामचरण और अंबानी परिवार के पास ड्रैगन थीम और स्पेशल एडिशन मौजूद हैं. ये घड़ियां आम शोरूम में आसानी से नहीं मिलतीं. कई मॉडल्स के लिए सालों की वेटिंग होती है, और कई तो सिर्फ चुनिंदा ग्राहकों के लिए ही बनाए जाते हैं.
रिचर्ड मिल की खास रणनीति इसकी सीमित संख्या भी है. मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह ब्रांड साल में करीब 6,000 घड़ियां ही बनाता है, लेकिन इसके बावजूद टर्नओवर के मामले में यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा वॉच ब्रांड बन चुका है. कम प्रोडक्शन और हाई डिमांड का यह फॉर्मूला इसकी एक्सक्लूसिव इमेज को और मजबूत करता है. हालांकि इसकी कीमतों और अनोखे डिजाइन को लेकर आलोचना भी होती रही है. कुछ लोग इसे जरूरत से ज्यादा महंगा और डिजाइन को ‘ओवरडन’ मानते हैं, लेकिन इसके खरीदारों के लिए यही अलगपन इसकी सबसे बड़ी खूबी है.
अनंत अंबानी द्वारा लियोनेल मेसी को दी गई 11 करोड़ रुपये की रिचर्ड मिल घड़ी इसी ब्रांड फिलॉसफी का प्रतीक मानी जा रही है. यह गिफ्ट न सिर्फ दो बड़े नामों को जोड़ता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे लग्ज़री अब ग्लोबल पहचान और सांस्कृतिक संवाद का हिस्सा बन चुकी है. एक तरफ भारत का सबसे प्रभावशाली बिजनेस परिवार और दूसरी तरफ फुटबॉल का सबसे बड़ा सितारा—दोनों को जोड़ने वाली कड़ी बनी एक घड़ी.
रिचर्ड मिल आज सिर्फ समय देखने का जरिया नहीं रही. यह तकनीक, ताकत, सीमित उपलब्धता और स्टेटस का ऐसा मिश्रण बन चुकी है, जो अमीरी की नई परिभाषा गढ़ रहा है. भारत में बढ़ती इसकी लोकप्रियता यह संकेत देती है कि आने वाले समय में लग्ज़री का मतलब सिर्फ महंगा होना नहीं, बल्कि अलग, दुर्लभ और कहानी से भरा होना होगा. और शायद यही वजह है कि रिचर्ड मिल की हर घड़ी कलाई पर बंधने से पहले ही एक दंतकथा बन जाती है.

































