नेपाल में शांत माहौल टूटते ही अचानक भड़का उग्र Gen-Z युवा आंदोलन, बारा में कर्फ़्यू लागू

6
Advertisement

बारा.नेपाल में Gen-Z युवाओं का आंदोलन एक बार फिर तेज़ हो गया है। दो महीने की शांति के बाद बुधवार को हुए टकराव के अगले ही दिन गुरुवार को हालात फिर बिगड़ गए, जिसके बाद बारा ज़िले के सिमरा क्षेत्र में कर्फ़्यू लागू करना पड़ा। प्रशासन ने दोपहर 1 बजे से रात 8 बजे तक के लिए कर्फ़्यू आदेश जारी किया है ताकि हालात को काबू में रखा जा सके। यह वही इलाक़ा है जहां बुधवार को छह प्रदर्शनकारी घायल हुए थे, जब उनका सामना CPN-UML कार्यकर्ताओं से हुआ था।

सुबह से ही बड़ी संख्या में युवा प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरते नजर आए। खुद को ‘Gen Z’ बताने वाले ये युवा पिछले कुछ महीनों से नेपाल की राजनीतिक गतिविधियों, सोशल मीडिया प्रतिबंध और सरकार की नीतियों के विरोध में लगातार आवाज़ उठा रहे हैं। गुरुवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच फिर झड़पें हुईं, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। स्थिति तनावपूर्ण रहने पर प्रशासन को कर्फ़्यू लगाना पड़ा।

असिस्टेंट चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर छबीरामन सुबेदी के मुताबिक़, “पुलिस पर फिर से हमला हुआ, हालात नियंत्रण से बाहर जाते दिखे, इसलिए कर्फ़्यू दोबारा लागू किया गया है।” उनका कहना है कि सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और हालात की लगातार निगरानी की जा रही है।

बारा ज़िले में तनाव की शुरुआत UML नेताओं के संभावित दौरे से हुई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और CPN-UML के महासचिव शंकर पोखरेल तथा युवा नेता महेश बस्नेत गुरुवार को एक जनसभा को संबोधित करने के लिए सिमरा आने वाले थे। PTI के अनुसार, जब दोनों नेताओं को लेकर जा रही बुद्ध एयर की फ्लाइट काठमांडू से उड़ान भरने ही वाली थी, तभी आंदोलनकारियों ने विरोध तेज़ कर दिया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने एयरपोर्ट पर सुरक्षा बढ़ाई, लेकिन हालात बिगड़ते देख पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी और एयरपोर्ट के संचालन को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा।

यहां भी पढ़े:  ‘चमचमाते टेंट, लाखों की मिठाइयां, 56 भोग…’, मतगणना के पहले ही बाहुबली अनंत सिंह के घर पर भव्य तैयारियां

यह पहली बार नहीं है जब नेपाल में Gen-Z आंदोलन ने राजनीतिक ढांचे को हिला दिया हो। इसके पहले सितंबर में देशभर में चले बड़े आंदोलन में 76 लोग मारे गए थे। उस समय सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए जाने के बाद नाराज़ युवाओं ने इसे नागरिक स्वतंत्रता पर हमला बताया था और बड़े पैमाने पर सड़क विरोध शुरू कर दिया था। इन प्रदर्शनों की परिणति उस वक्त हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री और UML प्रमुख केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद देश में पहली बार किसी महिला को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया — सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कर्की ने 73 वर्ष की उम्र में पदभार संभाला।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंदोलन नेपाल के सामाजिक-राजनीतिक ढांचे में गहरे बदलाव का संकेत दे रहा है। नई पीढ़ी सोशल मीडिया के ज़रिए संगठित होकर अधिक मुखरता से सरकार के सामने सवाल रख रही है। हालांकि सरकार इसे कानून-व्यवस्था की समस्या बता रही है, लेकिन विपक्ष और नागरिक संगठन इसे युवा असंतोष का उभार मान रहे हैं, जिसकी अनदेखी लंबे समय तक संभव नहीं।

यहां भी पढ़े:  स्कॉलर्स होम के वार्षिकोत्सव में दिखा कला, संस्कृति और संवेदना का अद्भुत संगम

भारत-नेपाल सीमा से लगे इलाक़ों में भी इसकी सरगर्मियों का असर दिख रहा है। हाल ही में भारत और नेपाल के बीच सीमा मुद्दों पर होने वाली वार्ताओं के दौरान भी कूटनीतिक हलकों में यह चर्चा रही कि नेपाल का आंतरिक अस्थिर माहौल सीमाई इलाक़ों पर प्रभाव डाल सकता है। भारत के कई राज्यों में सोशल मीडिया पर नेपाल के Gen-Z आंदोलन को लेकर तंज़ और चिंता दोनों जताई जाती रही है।

सिमरा में गुरुवार का दिन तनावपूर्ण रहा। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार झड़पें दर्ज की गईं। कई युवाओं को हिरासत में भी लिया गया है, हालांकि पुलिस ने अभी आधिकारिक संख्या जारी नहीं की है। स्थानीय लोग बताते हैं कि सुबह से ही बाज़ार बंद हैं, सड़कों पर सन्नाटा पसरा है और सुरक्षा बलों की आवाजाही तेज़ हो गई है। कई इलाक़ों में इंटरनेट की गति धीमी होने की भी शिकायतें हैं, हालांकि प्रशासन ने औपचारिक रूप से कोई प्रतिबंध स्वीकार नहीं किया है।

नेपाल के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी मार्च 2026 में होने वाले चुनाव इस आंदोलन को और उभार सकते हैं। UML नेताओं का दौरा भी इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन हर बार नेताओं के आगमन से पहले युवाओं का सड़क पर उतर आना इस बात का संकेत है कि राजनीतिक दलों और नई पीढ़ी के बीच भरोसे की खाई गहरा चुकी है।

यहां भी पढ़े:  आपके हाथ में है यह निशान, तो रातों रात रोडपति से बन जाएंगे करोड़पति, यह शर्त टूटी तो हो जाएगा एक्सीडेंट

फिलहाल प्रशासन कर्फ़्यू के सहारे हालात संभालने की कोशिश में है, लेकिन आंदोलन के फिर भड़कने से यह सवाल उठ गया है कि क्या नेपाल सरकार और राजनीतिक दल युवाओं के असंतोष को समझकर किसी स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ेंगे, या फिर तनावपूर्ण माहौल आगे भी जारी रहेगा। नेपाल के दक्षिणी तराई क्षेत्र से उठी यह आग अब देश की केंद्रीय राजनीति तक अपना असर दिखा रही है, और यह अंदेशा जताया जा रहा है कि अगर हालात जल्द सामान्य नहीं हुए, तो देश एक बार फिर व्यापक अस्थिरता की ओर बढ़ सकता है।

बारा में कर्फ़्यू लागू होने के साथ ही नेपाल में दो महीने से शांत पड़े Gen-Z आंदोलन की वापसी ने यह साफ कर दिया है कि असंतोष दबा जरूर जा सकता है, लेकिन खत्म नहीं हुआ। अब सरकार, राजनीतिक दलों और सुरक्षा एजेंसियों की परीक्षा शुरू हो चुकी है कि वे इस उभरते युवा उबाल का सामना कैसे करेंगे- संवाद से या दमन से।

Advertisement