मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष 21 नवंबर से प्रारंभ, धार्मिक आस्था और पवित्र अनुष्ठानों का शुभ समय शुरू

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हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास का शुक्ल पक्ष 21 नवंबर, शुक्रवार से प्रारंभ हो गया है। पारंपरिक मान्यताओं में यह काल अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है, जब देवोपासना, दान-पुण्य, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व रहता है। शुक्रवार सुबह के साथ ही माह की इस शुभ अवधि की शुरुआत होते ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की आवाजाही बढ़ने लगी है और विभिन्न धार्मिक संस्थानों ने मार्गशीर्ष विशेष पर्वों की तैयारी शुरू कर दी है। पंचांग विशेषज्ञों के अनुसार यह मास स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय महीनों में गिना जाता है और शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही देवी–देवताओं की पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष का प्रत्येक दिन किसी न किसी विशेष पुण्यफल से जुड़ा होता है। इस अवधि में सुबह-सवेरे स्नान, ध्यान और सूर्योपासना का विशेष महत्व बताया गया है। शुक्रवार से प्रारंभ हुए इस पक्ष में लक्ष्मी उपासना को विशेष प्रभावी माना जा रहा है, क्योंकि शुक्रवार स्वयं देवी महालक्ष्मी का दिन माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस समय भक्तों के लिए अनुकूल है और इस पक्ष में किए गए धार्मिक कार्यों से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

माह के आरंभ होते ही कई शहरों में मंदिर समितियों ने विशेष कार्यक्रमों की घोषणा की है। तीर्थस्थलों में सुबह की आरतियों से लेकर शाम के दीपदान तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। विशेषकर मार्गशीर्ष गुरुवार और शुक्रवार को देवी लक्ष्मी, भगवान कृष्ण और भगवान नारायण की पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है। धार्मिक गुरुओं का कहना है कि यह समय मानसिक शांति, परिवार में सौहार्द और आर्थिक स्थिरता की कामना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

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आम लोगों में भी इस पक्ष के शुरू होते ही सकारात्मकता और धार्मिक उत्साह देखा जा रहा है। कई घरों में व्रत, सत्संग और भजन-कीर्तन की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। बाजारों में पूजा-सामग्री की मांग बढ़ने लगी है और मिठाइयों तथा फलाहार की दुकानों पर भी भीड़ देखी जा रही है। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई संस्थाएँ मार्गशीर्ष मास के महत्व को समझाते हुए लाइव प्रवचन और ऑनलाइन पूजा सत्र आयोजित कर रही हैं।

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21 नवंबर से प्रारंभ हुए मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष के चलते अब आगामी दिनों में धार्मिक गतिविधियों में और तेजी आने की संभावना है। भक्तों को उम्मीद है कि इस पवित्र काल में किए गए शुभ कर्म उनके परिवारों के लिए शांति, समृद्धि और नए अवसरों के द्वार खोलेंगे।

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